गंगा किनारे सूखने को मजबूर नानामी गंगे।
केंद्रीय बजट पोषित योजना की जड़ो में किसने डाला कूड़ा।
गिरीश गैरोला।
नगर पालिका विस्तार का असर अब साफ तौर पर सड़को पर ही दिखने लगा है जब नगर में हो रहे विकास की तस्वीर नमामि गंगे परियोजना पर अंकित होने लगी है। नगरो में विकास के बाद हो रहे नव निर्माण के बाद पुराना मलवा मुख्य सड़क पर नमामि गंगे की जड़ो को सुखाने में लगा हुआ है और जिम्मेदार विभाग पुराने वर्ष की चिंता छोड़ नए वर्ष के बजट की प्रत्याशा में हैप्पी न्यू ईयर के जश्न में डूबे हुए है।
गंगा और सहायक नदियों में वर्ष भर भरपुर पानी रहे इसके लिए वन विभाग को भी नमामि गंगे परियोजना में पौधरोपण के लिए भारी भरकम बजट उपलब्ध कराया गया है। सड़क किनारे नदियों के किनारे ये बृक्ष न सिर्फ गर्मियों में सड़क किनारे छाया देंगे बल्कि नदियों में जल धारा को बनाये रखने में भी योगदान देंगे साथ ही बाढ़ आपदा और भूस्खलन के समय होने वाले कटाव को भी रोकने का काम करेंगे।
किन्तु इस महत्वाकांक्षि परीयोजना की जड़ों में कूड़ा डाला जा रहा है आलम ये है कि अब पेडों के सूखने से ये वन विभाग द्वारा किये गए बृक्षारोपण पर भी मट्ठा पड़ती नजर आ रही है।
उत्तरकाशी नगर पालिका विस्तार के बाद नदी के पार वाला हिस्सा भी नगर पालिका में सामिल हो गया है। पालिका में सामिल होने के बाद गांवो का विकास हो रहा है। पुराने टाइप भवन तोड़कर नए टाइप बनाये जा रहे है और पुराने घरो का मालवा कूड़ा नमामि गंगे की शरण मे जा रहा है। ये कूड़ा नमामि गंगे परियोजना में लगे बृक्षों की जड़ो में डाले जाने से न सिर्फ सड़क की चौड़ाई कम हो रही है बल्कि पेड़ भी सूखने लगे है। मगर बिल भुगतान के बाद इनकी कुशलता पूछने की फुर्सत किसी को नही है। शिकायत मिलने पर कार्यवाही का जुमला काफी पुराना होते हुए भी आज तक कायम है।