भारतीय मजदूर संघ की औद्योगिक इकाई, भारतीय परिवहन मज़दूर महासंघ के अखिल भारतीय त्रिवार्षिक अधिवेशन में प्रतिभाग करने के लिए उत्तरांचल परिवहन मज़दूर संघ, उत्तराखंड के भी 20 पदाधिकारी व् कार्यकर्त्ता गुजरात के भुज नगर में गए हुए हैं,आज अधिवेशन का दूसरा व् अंतिम दिवस है, नयी कार्यकारिणी घोषित होगी,
अंकित तिवारी
अभी तक परिवहन क्षेत्र की राष्ट्रीय स्तर की व् अलग अलग प्रान्तों की समस्याओं पर चर्चा हुई इनमे मुख्य रूप से पुरे राष्ट्र में परिवहन क्षेत्र को सरकारों द्वारा निजीकरण कि तरफ ले जाने पर चिंता व्यक्त करने के साथ तीव्र विरोध भी व्यक्त किया गया,उत्तराखंड के संदर्भ में वक्ताओं ने कहा कि सरकार निगम में एक आई ए एस अधिकारी m d के रूप में नियुक्त करने के बावजूद निगम का सञ्चालन नही कर पा रही है व् एक सुस्पष्ट परिवहन नीति का निर्माण नही कर पा रही है जिस कारण आय के पर्याप्त साधन होते हुए भी प्रबंधन की गलत नीतियों के कारण परिवहन निगम निरंतर घाटे में है, सर्कार द्वारा निगम के संसाधन बढाने कब्कोई प्रयास नही किया जा रहा है, जबकि निजीकरण को बढ़ावा देता हुए निरंतर अनुबंधित वाहनों की संख्या बढ़ाई जा रही है जो की निगम को समाप्त करने की साजिश है, निजीकरण जहाँ एक ओर कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात है वहीँ उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य की आम जनता के हितों पर भी कुठाराघात है, निगम की सेवाएं बाधित होने पर एक दो दिन में ही निजी ऑपरेटरों द्वारा आम यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जाता है तथा यात्रिओंको भेड़ बकरियों की तरह वाहनों में ठूंस जाता है, यदि परिवहन निगम का निजीकरण हो गया तो रेलवे सुविधा से वंचित राज्य के लोगों के लिए यातायात बड़ा महंगा और असुविधाजनक हो जायेगा तथा विकलांग, बुजुर्गजन, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, स्कूली छात्राएं अदि कई श्रेणियों के लोगों को मिल रही निःशुल्क यात्रा सुविधा भी समाप्त हो जायेगी, तथा अराजकता होगी वह अलग,इसलिए सरकार को चाहिए कि उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थियों वाले राज्य में सरकारी परिवहन सेवा को हतोत्साहित करने के बजाय एक स्पष्ट परिवहन नीति का निर्माण करे तथा उत्तराखंड में परिवहन निगम को रेलवे का भी एक विकल्प मानते हुए सुव्यस्थित करे तथा प्रोत्साहन दे तथा सरकार इसे एक निगम के बजाय सरकारी सेवा के रूप में चलाए क्योंकि जनसुविधाएं देना भी सरकार की जिम्मेदारी है,