देहरादून। पूरे उत्तराखण्ड में 27 हजार भोजनमातांए विभिन्न प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में वर्ष 2002-03 से भोजन बनाने का कार्य कर रही हैं। भोजन माताओं से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बराबर काम करवाया जाता है इसके एवज में उन्हें मानदेय के नाम पर मात्र दो हजार रूपये मिलते है जो कि उत्तराखण्ड में तय न्यूनतम मजदूरी का 25 प्रतिशत है।
गिरीश गैरोला
प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान यह बात आज प्रगतिशील भोजनमाता संगठन की अध्यक्ष हंसी देवी ने कही। उन्हांेने कहा कि कई स्कूलों में भोजनमाताओं से भोजन बनाने के अतिरिक्त और कार्य भी करवाये जाते हैं। किसी भी काम को मना करने पर स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है। इस तरह न सिर्फ भोजन माताओं का शोषण किया जा रहा है बल्कि स्कूलों में मानसिक उत्पीड़न भी किया जा रहा है। उन्हांेने कहा कि इस शोषण उत्पीड़न के खिलाफ व अपनी मांगों को लेकर 9 जनवरी को सचिवालय में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री आवास के समीप प्रदर्शन कर अपनी मांगों को रखंेगी। उन्हांेने उम्मीद जतायी है कि मुख्यमंत्री उनकी मांगो को सुनकर उस पर गम्भीरता पूर्वक विचार करेंगे।