लाठी चार्ज से भड़के छात्र गुट

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यूपीपीएससी सचिव को बर्खास्त व मुकदमा दर्ज करने की मांग पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्र पर लाठीचार्ज की युवा मंच ने तीखी भत्र्सना की
2 जून की सिविल सर्विसेज की परीक्षा के बाद होगा प्रदेशव्यापी आंदोलन।

अंकित तिवारी
इलाहाबाद, 31 मई 2019, लोक सेवा आयोग में पेपर लीक कराने के संगीन आरोप में जेल भेजी गईं परीक्षा नियंत्रक श्रीमती अजू कटियार के बाद छात्रों ने यहां पेपर लीक कराने व धांधली के मुख्य सूत्रधार आयोग के सचिव को बर्खास्त करने व मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग आयोग के सामने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हजारों छात्रों पर लाठी चार्ज की युवा मंच ने तीखी निंदा की है। प्रदर्शन में शामिल युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह ने कहा एलटी परीक्षा सहित आयोग द्वारा विगत 2 साल में आयोजित कराई गईं सभी परीक्षाओं में भारी धांधली हुई है इसे लेकर युवा मंच व प्रतियोगी छात्रों द्वारा लगातार किये धरना-प्रदर्शन के माध्यम से मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया गया, लेकिन उनके द्वारा प्रदेश की चयन प्रक्रिया में किसी तरह की धांधली से इंकार करते हुए युवाओं के आंदोलनों को न सिर्फ नजरांदाज किया गया बल्कि आयोग व प्रशासन ने भाजपा सरकार को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की धमकी भी दी। एलटी व 69000 शिक्षक भर्ती का मामला युवा मंच की रिट पर न्यायालय में लंबित हैं वहां भी सरकार के प्रतिनिधि द्वारा चयन प्रक्रिया में किसी भी तरह के धांधली व पेपर लीक की बात से पूरी तौर पर इंकार किया गया। परीक्षा नियंत्रक द्वारा पेपर बेचने के एसटीएफ के मुकदमा से युवा मंच व प्रतियोगियों के आरोपों की पुष्टि हुई है। उन्होंने कहा कि पेपर बेचने के गंभीर लगने के बाद मुख्यमंत्री को कम से कम आयोग के सचिव को तत्काल पदमुक्त करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज से प्रतियोगियों में भारी रोष है और 2 जून को सिविल सर्विसेज की परीक्षा के बाद प्रदेश व्यापी आंदोलन का आगाज किया जायेगा। प्रदर्शन में युवा मंच के सुरेंद्र कुमार पाण्डेय, अमित निर्मोही, विजय मौर्या सहित हजारों छात्र मौजूद रहे। प्रेस को जारी बयान में युवा मंच के संयोजक एवं इविवि के पूर्व छात्र नेता राजेश सचान ने मुख्यमंत्री से तत्काल आयोग के सचिव जगदीश को पदमुक्त करने और उनके विरूद्ध कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि दरअसल प्रतियोगी छात्रों में भारी अविश्वास इसलिए है क्योंकि सपा सरकार के कार्यकाल में भाजपा नेता लगातार तत्कालीन अध्यक्ष को सरकार बनने पर जेल भेजने की वकालत करते रहे हैं पर विडम्बना यह है कि सरकार बनने व सीबीआई जांच के बाद भी आयोग में भ्रष्टाचार को संस्थाबद्ध करने वाले व हाई कोर्ट से बर्खास्त किये गये तत्कालीन अध्यक्ष से पूछताछ तक नहीं हुई। अगर सरकार की मंशा लोक सेवा आयोग को पारदर्शी व भ्रष्टाचार मुक्त बनाना होता तो सीबीआई के राजीव रंजन की प्रतिनियुक्ति आगे बढ़ाने का निर्णय लिया जाता और सीबीआई जांच को अंजाम तक पहंुचाया जाता। मुख्यमंत्री व भाजपा नेताओं के पास इसका जवाब नहीं है कि आखिर किसे बचाने के लिए सीबीआई जांच में लीपापोती की गई। उन्होंने कहा कि यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है कि वर्षों से आयोग जारी गोरखधंधे में अकेले परीक्षा नियंत्रक ही शामिल हैं और आयोग के सचिव को इतने बड़े घोटाले की भनक तक नहीं लगी। कहा इन्हीं सचिव महोदय ने धांधली की आवाज उठाने पर युवा मंच के पदाधिकारियों पर मुकदमा कराने की धमकी सार्वजनिक तौर पर दी गई थी। अगर मुख्यमंत्री ने पेपर लीक व धांधली के हमारे आरोपों को गंभीरता से लिया होता तो आज जिस तरह पूरी चयन प्रक्रिया पर संकट के बादल मडरा रहे हैं और लाखों छात्रों का भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है वैसी नौबत नहीं आती।

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