लौक डाउन में खाली समय का ऐसे किया सद्पयोग – Youtube से लिया आइडिया, महुआ से बना दिया सैनिटाइजर।

Share Now

अलीराजपुर- मध्यप्रदेश

वैज्ञानिक बड़े संस्थानों में और अविष्कार सिर्फ लैब में नहीं हुआ करते ।जरूरत आविष्कार की जननी है इस बात को पुख्ता किया है स्वयंसेवी संस्थाओं की इन महिलाओं ने जो यह साबित करता है कि आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद जरा सी मदद से हमारे देश के टैलेंटेड महिला पुरुष बहुत कुछ करने का जज्बा रखते हैं । तभी तो यूट्यूब से आईडिया लेकर उन्होंने आज की सबसे बड़ी जरूरत सैनिटाइजर का सबसे सस्ता उपाय ढूंढ निकाला।

एमपी के अलीराजपुर जिले की दस आदिवासी महिलाओं के समूह ने यूट्यूब पर सैनेटाइजर बनाना सीखा और जब एल्कोहल की कमी हुई तो महुआ की शराब से सैनिटाइजर बनाकर उसे लोगों को सस्ते में बेचना शुरू किया. दिलचस्प बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने भी जांच में इनके महुआ सैनिटाइजर को उपयोगी माना है.

अंकित तिवारी

एमपी के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के धामंदा गांव की स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाओं ने पहले मोबाइल पर यूट्यूब से सैनिटाइजर बनाना सीखा और जब एल्कोहल मिलना बंद हुआ तो इलाके में आसानी से उपलब्ध महुआ की वाष्पन विधि से शराब बनाकर उसका महुआ सैनिटाइजर बनाकर सस्ते दामों पर उपलब्ध करवा रही हैं.

इन 10 महिलाओं के समूह ने महुआ से सैनेटाइजर बनाकर पहले स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों से उसकी जांच करवाई और सभी मानकों पर खरा पाये जाने का प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद इसे बाजार में लॉन्च किया.

इस 200 मिलीग्राम के महुआ सैनिटाइजर को समूह 70 रुपये में बेचता है जबकि मार्केट में इतनी ही मात्रा का सैनिटाइजर 300 रुपये से ज्यादा का मिल रहा है. स्थानीय जनपद सीईओ कहते है कि यूट्यूब पर इन महिलाओं ने यह सब कुछ सीखा और अब इनका प्रोडक्ट मेडिकली अप्रूव्ड होने के बाद बाजार में है. 

प्रेरक आजीविका मिशन से जुड़े अमरसिंह ने बताया कि महुआ का सैनिटाइजनर बनाने का ख्याल हमारे दिमाग में इसलिए आया कि पहले स्प्रिट से सैनिटाइजर बनाते थे लेकिन जब बाद में स्प्रिट मार्केट में नहीं मिल रहा था तो हमने एक प्रयोग किया क्योंकि स्प्रिट भी एल्कोहल ही है.

हमने महुआ से सैनिटाइजर बनाने का प्रयोग किया और टेस्टिंग की. फिर बीएमओ साहब को बुलवाया और वहां की लैब में टेस्टिंग हुई. उन्होंने कहा कि अच्छा है,

यह ऑर्गेनिक काम करेगा. इससे कई कीटाणु भी मरेंगे. इसको बनाने में हमने फिटकरी, नीम के पत्ते, तुलसी के पत्तों और गुलाब जल का भी उपयोग किया है. इसमें 60 से 65 रुपये का खर्च आ रहा है और इसे हम 70 रुपये में बेच रहे हैं. बैंको, स्कूलों आदि शासकीय संस्था में इसे अभी हम दे रहे है.

error: Content is protected !!