आवारा पशुओं के आतंक
तीनों निगमों के स्थाई समितियों के अध्यक्षों के साथ संवाद .
सभी आरडब्ल्यूए ने अपनी कालोनियों मे कुत्तों की व गायों से होने वाली घटनाओं व परेशानियों को प्रमुख रूप से रखा। और निगम को इनके स्थाई समाधान के लिए कहा।
अंकित तिवारी
कुत्तों का विषय:
आरडब्ल्यूए रूपनगर से विशाल गोयल ने सवाल उठाया की क्या इंसान से ज्यादा जानवर की जान कीमती है। आज दिल्ली के अस्पताल की तो छोडिय़े दवाई की दुकानों पर तक एंटी रेबीज की दवाई उपलब्ध नही है। उन्होंने बताया की गुडमंडी के बाहर जी टी रोड पर हरा चारा डाला जाता है जिससे आये दिन दुर्घटना होती है।
ईस्ट दिल्ली आरडब्ल्यूए जाईंट फ्रंट के अध्यक्ष बी एस वोहरा ने कहा की ईस्ट दिल्ली मे हर गली मे दस से बारह कुत्तों के समूह बने है और उनमें से एक दो काटने वाले कुत्ते होते है और जब ये किसी पर हमला करते है तो इनके साथ अन्य कुत्ते भी वही हरकत करने लगते है कोई भी वाहन चालक कभी भी इनके हमलों से घायल हो जाता है यही हाल गायों का है हाल ही मे ईस्ट दिल्ली मे बाईक की टक्कर से बिगडे गोवंश ने उस सवार की जान तक ले ली।
आरडब्ल्यूए जोरबाग से दलीप जी ने कहा की कुत्तों की नसबंदी पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
यूआरडी से सौरभ गांधी ने कहा कि गाय व सांड रोज किसी ना किसी को दुर्घटना का शिकार बना रहे है। पिछले दो सालों मे सिर्फ़ उत्तरी दिल्ली निगम मे ही 33 मौते कुत्तों के काटने से हो चुकी है। और 1175 लोग इनके काटने का शिकार बन चुके है। उन्होंने कहा जब इंसान किसी को नुकसान पहुचाने का प्रयास भी करता है तो जेल मे सुधारने को भेज दिया जाता है और हत्या मे आजीवन कारावास तक सजा पाता है। शेर तो जंगल मे भी नरभक्षी हो जाता है तो उसको पकड कर चिडियाघर मे बंद करा या मार दिया जाता है। ऐसे किसी अपराधी इंसान को मदद करने वाले या छुपाने वाले भी सजा के हकदार होते है। तो इन कुत्तों के लिए कानून मे बदलाव क्यों नहीं हो सकता। क्यों ना ऐसे कुत्ते जो गलियों मे बच्चों, बूढो, महिलाओं व इंसानों के लिए आतंकवादी बन चुके है आबादी से हटाकर शेेेल्टर होम मे भेजा जाना चाहिए जिससे अन्य कुत्ते भी ऐसी प्रवृत्ति से दूर रहे
यही हाल बंदरों के काटे का है।
आरडब्ल्यूए सिद्धार्था ऐंक्ललेव ने माँग रखी कि जब कोई पालतू किसी को नुकसान पहुचाता है तो उसके मालिक पर पीडित व्यक्ति को हर्जाना देने व सजा भी हो जाती है तो उन पशु प्रेमियों को भी इसके दायरे मे लाया जाना चहिये।
आरडब्ल्यूए पहाडगंज से सरदार गुरदीप सिंह ने ये सवाल भी उठाया कि जब कोर्ट का सख्त आदेश है की दिल्ली मे के शिकायत करी जाती है तो ये डेरी के लोग शिकायत कर्ता को जान से मारने की धमकियां देने पहुंच जाते है और वो खुद इसके भुगतभोगी है।
आरडब्ल्यूए केश्वपुरम से सुरेश चौधरी ने सडकों पर पशुओं को खाना डालने वालो पर सख्त कानून लाने की व आवारा जानवरों के शेलटर होम बनाए जाने पर आपनी माँग रखी।
आरडब्ल्यूए सब्जी मंडी से कैलाश प्रधान ने बताया की उनकी एक गली मे 52 कुत्ते है जो आये दिन लोगों को अपना शिकार बनाते है।
आदर्श आरडब्ल्यूए प्रीतमपुरा के प्रतिनिधि ने कहा की कुत्तों के साथ फीमेल डॉग की नसबंदी से ज्यादा अच्छे नतीजे मिल सकते है।
मुर्खजी नगर आरडब्ल्यूए सदस्य के सी जैन ने कहा की हर साल देश मे 20,000 लोग कुत्तों और बंदरों व आवारा पशुओं के कारण मर जाते है।
संजय पुरी ने ये यूआरडी की इस मुहिम को पूरी जनकपुरी विधानसभा मे खडा करने का वचन लिया। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हम हिन्दू होने पर गर्व करते है और गाय को माँ की तरह पूजते है वहीं हम शर्म से अपने सर झुका लेते है जब वहीं माता कूडे मे मुह: मारती नजर आती है कुछ लोगों के अवैध डेरी के धंधों व निगम कर्मचारियों के रिश्वतखोरी के कारण। उन्होंने कहा की पुलिस के पास भी ऐसे डेरियों के खिलाफ कार्यवाही के अधिकार दिये जाए व उनकी जवाबदेही भी इस पर तय करी जाये।
सुल्तान पुरी विधानसभा की जन शक्ति आरडब्ल्यूए ने बताया की उनके क्षेत्र मे खुले ढलावों के कारण गायो, कुत्तों के साथ सुअरों की समस्या भी है। क्योंकि सुअर पालने से जुडे लोग खास जाती विशेष से होते है और उनके अधिकतर संबंधी निगम के सफाई व पशु विभागों मे कार्य करते है इसलिए उन पर कोई कार्यवाही नही होती और शिकायती को धमकियां जरूर मिलने लगती है।
यूआरडी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेन्द्र गुप्ता ने कहा कि आज की बैठक मे आरडब्ल्यूए के इस समस्या के प्रति रूझान को देख कर ये साफ हो गया है दिल्ली की हर गली का नागरिक इस समस्या से अजीज आ चुका है और इस इंसान विरोधी कानून मे बदलाव की अब सख्त जरूरत है उन्होंने यूआरडी को आश्वासन दिया की ऐसी समस्याओं के लिए वो तन मन धन से संस्था के साथ खडे है।
आरडब्ल्यूए जीके से राजीव काकरिया ने कहा कि आवारा कुत्तों की हर कालोनी मे हर साल गिनती हो, जिसे निगम की वेबसाईट पर डाला जाये और इनकी नसबंदी मे कितना खर्च हुआ और क्या उसके बाद भी अगर इस पर लगाम नहीं लग सकी तो उस अधिकारी की जवाबदेही तय हो जो इसका जिम्मेदार है। आरडब्ल्यूए यह डाटा आसानी से निगम को बता सकती है क्योंकि उसके लिए अपने गली के चौकीदार से यह काम करना बहुत ही आसान काम है अगर निगम इसमे आरडब्ल्यूए से सहयोग चाहता है तो।
यूआरडी के कानूनी सलाहकार अधिवक्ता नलिन त्रिपाठी ने कई कानूनी पहलुओं व कानून की धाराओं मे बदलाव की माँँग रखी। उन्होंने कहा कि यह मामला
Human Rights vs Animal Rights का है
उन्होंने बताया की साल मे 60,000 मामले इनके शिकार बनने के आते है। उन्होंने बताया की ऐनिमल वैलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया तो है मगर उसके पास कोई ताकत नहीं है। उन्होंने बताया की कुत्तों को खाना डालने वाली एनजीओ को एक कुत्ते के 3000 महीना इस काम का मिलता है।
यूआरडी सचिव बी बी तिवारी ने कहा एनजीओ मिलने वाले बजट और खर्च को चेक किया जाना चाहिए यहां तक की यह इनकी दवा दारू, नसबंदी व रख रखाव का भी बहुत सा पैसा सरकारी मदों से भी लेती है इसकी समय समय पर जाँच होनी चाहिए और इस जाँच मे आरडब्ल्यूए की अहम भूमिका होनी चाहिए।
आरडब्ल्यूए मॉडल टाऊन से संजय गुप्ता ने कहा की सडकों या चौक पर दाना बेचने वालो पर भी कानून बनाया जाना चाहिए इससे भी कई बार दो पहिया चालक दुर्घटना का शिकार बनते है। इनके लिए ऐसे स्थान निश्चित करे जाये जो सडकों से दूर हो।
यूआरडी अध्यक्ष जितेंद्र त्यागी ने कहा की हर विधानसभा की आरडब्ल्यूए एक साथ इकट्ठा हो और उनकी विधानसभा मे सडकों पर मवेशियों की शिकायत पर यूआरडी की कानूनी सलाहकारों की टीम उनकी लडाई को कोर्ट मे लडने को तैयार है।
CONRWA के चीफ संयोजक वीर चकर से समान्नित कर्नल टी पी त्यागी ने कहा की यूआरडी की इस मुहिम का वो स्वागत करते है और उनकी संस्था इस मुहिम को दिल्ली एनसीआर मे खडा करने मे पूरी सहभागिता से साथ देगी क्योंकि यह ना सिर्फ दिल्ली की अपितु पूरे देश के हर शहर गांव की समस्या बन चुकी है।
इन सबके अलावा भी कई सदस्यों ने अधिकतर इन्हीं बातो पर अपनी माँग रखी जिनमे आरडब्ल्यूए परमानंद, जन सहायता संगठन केश्वपुरम, जेपी ब्लाक आरडब्ल्यूए , मलिक पुर ग्राम विकास समिति से दामोदर कश्यप, आदि आदि।
रामजस कॉलेज के यूपीएससी सेल के चैयरमैन डॉ धनीराम ने कहा कि यह डेरियां दिल्ली मे अवैध कब्जे पर चल रही है ब्लकि अवैध कब्जे इस दिल्ली का नासूर बन चुके है और उनके इनके खिलाफ काम करने पर उन पर झूठे मुकदमे करा दिये है मगर वो इस सबसे डरे बिना इसके खिलाफ लडेंगे तो हाल मे मौजूद आरडब्ल्यूए ने तालियों की गडगड़ाहट से उनकी बात का समर्थन करा। उन्होंने कहा की इस मुहिम को दिल्ली के हर कॉलेज तक लेकर जा कर लोगों को इसके साथ जोडेंगे।
तीनों निगमों के स्थाई समितियों के अध्यक्ष की बातो को हम वीडियो के माध्यम से आपके बीच रख रहे है। जिसमे उन्होंने इस समस्या को माना और एक सूत्री ऐजंडा तय कर इसके समाधान करने की इच्छा दिखाई।
समय की कमी के कारण बहुत से लोग अपनी बात नहीं रख सके जिसके लिए यूआरडी उपाध्यक्ष अशोक गोयल ने कि अब दिल्ली की हर विधानसभा मे इस मुद्दे पर आरडब्ल्यूए के साथ बैठके रखी जायेगी व जो लोग अपने विचार बैठक मे नहीं रख सके वो यूआरडी की ईमेल urdrwas@gmail.com पर अपने सुझाव भेज सकते है। अशोक गोयल ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद करा कि अन्त तक एक साथ बैठकर उन्होंने लोगों के विचारों व शिकायतों को गंभीरता से सुना और हर संभव साथ देने का आश्वासन दिया। उन्होंने सभी आरडब्ल्यूए सदस्यों का धन्यवाद करा जो तेज बरसात मे भी इस मुद्दे पर चर्चा करने पहुंचे।
बैठक मे भोजन उपरांत आरडब्ल्यूए सदस्यों ने रामजस कॉलेज के शिक्षकों व विधार्थियों के साथ मिल कर फलों के पौधें कॉलेज प्रांगण मे लगाते हुए खुशी जाहिर करी कि उनके लगाये इन पौधों मे लगने वाले फलों का आने वाले वर्षों मे विधार्थी आनंद उठायेंगे।