6 वर्ष तक सरकारी तंत्र के भरोसे अपनी फजीहत के बाद ग्रामीणों ने स्वयं मेहनत और लगन से तंत्र को उसी की भाषा मे जबाब दिया है। भले ही पुल अस्थायी हो पर सरकार को आईना दिखाने के लिए काफी है।

यहाँ के ग्रामीणो ने “श्रमेव जयते” को सफल बनाते हुए श्रमदान कर बनाया ये कच्चा वैकल्पिक पुल बना कर सिस्टम को दिखा दिया आईना,आजादी के बाद से अब तक कल्प घाटी के दर्जनों गाँव विकास की किरण ढूंढ रहे है, लेकिन यहाँ विकास सिर्फ सरकारी फाइलों और चुनाव के सीजन मे ही दिखाई देता है,
आप इन तस्वीरों मे देख सकते है की कल्प घाटी के लोग किस तरह से जान जोखिम मे डाल कल्प गंगा को पार करने को यू मजबुर है, बता दें कि 2 माह पूर्व कल्पगंगा के उफान में यहाँ का पुल बह गया था,यही नही आपदा 2013 में इस जगह खबाला में बह जो पुल था वो पुल आपदा के आज 6साल बाद भी नहीं बना कल्पगंगा पर पुल कल्प घाटी के भेंटा, भर्की, ग्वाणा, अरोशी, पिल्खी, सहित अन्य गाँव के ग्रामीणों की इस पुल से होती है रोज आवाजाही, ऐसे मे लोग केसे आवा जाहि करेंगे इसलिए मजबूरन गाँव के कर्मठ लोगो ने श्रम दान कर ये लकड़ी का पुल बना कर सरकारी विकास को आईना जरुर दिखा दिया है
