शहरी निकायों को मिलेगी एकमुश्त मदद, 20 वर्षों की दूरदृष्टि से कार्य करें” – एन. रवि शंकर

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नगर निकायों को मिलेगी एकमुश्त सहायता, आयोग ने मांगी अवधारणा परियोजनाएं — अध्यक्ष एन. रवि शंकर का बड़ा बयान


📌 सार
छठे राज्य वित्त आयोग की कार्यशाला में नगर निकायों को दी गई दिशा — “भूमि चिन्हांकन कर प्राथमिकता के आधार पर DPR बनाएं,


📝 मुख्य समाचार (Main News Script):

नई टिहरी | Meru Raibar News
बुधवार को जिला सभागार नई टिहरी में छठे राज्य वित्त आयोग के तत्वावधान में शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण विचार-विमर्श कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस कार्यशाला में राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. रवि शंकर ने नव निर्वाचित अध्यक्षों, सभासदों और नगर निकाय अधिकारियों को आगामी कार्ययोजना के लिए दिशा-निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि सभी निकायों को एकमुश्त अनुदान के अंतर्गत विवादरहित भूमि की अवधारणा परियोजना रिपोर्ट (DPR) प्राथमिकता के आधार पर आयोग को प्रस्तुत करनी होगी। उन्होंने साफ कहा कि “अब 5 साल की नहीं, 20 साल आगे की सोच के साथ प्लानिंग करनी होगी।”

रवि शंकर ने मुनि की रेती, तपोवन और स्वर्गाश्रम जैसे क्षेत्रों का उदाहरण देते हुए पर्यटन और नगरीकरण को संतुलित रूप से विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने हरिद्वार–ऋषिकेश को जोड़ने वाले स्मार्ट कॉरिडोर की संकल्पना का भी जिक्र किया, जिससे मूलभूत सुविधाओं को और सुदृढ़ किया जा सके।

कार्यशाला में आयोग के सदस्य पी.एस. जंगपांगी ने बताया कि चारधाम यात्रा से जुड़े जिलों को छोड़ शेष सभी जिलों में आयोग की टीमें दौरा कर रही हैं। उन्होंने स्थानीय निकायों की भूमिकाओं, अधिकारों और जिम्मेदारियों पर विस्तार से प्रकाश डाला और नवगठित निकायों की राजस्व भूमि के हस्तांतरण की प्रक्रिया को तेज करने की बात कही।

इस मौके पर जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने नगर निकायों की विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति पर रिपोर्ट दी और पार्किंग, सोलर प्लांट, यूजर चार्जेज और कूड़ा प्रबंधन को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए।

नगर अध्यक्षों ने अपनी-अपनी समस्याएं और आवश्यकताएं रखते हुए कार्मिक वृद्धि, हाईटेक लाइब्रेरी, स्मार्ट शौचालय, सीवरेज, विद्युत शवगृह, स्मार्ट पार्किंग आदि की मांग की। आयोग ने निर्देश दिए कि निकाय अपनी जनसंख्या, संसाधन और अनुदानों के आधार पर माइक्रो लेवल पर योजनाएं तैयार करें।

विशेष रूप से देवप्रयाग, तपोवन और मुनिकीरेती को ‘नमामि गंगे’ मिशन में शामिल करने, और नई टिहरी की सड़कों को लोनिवि को हस्तांतरित करने की बात कही गई, जिससे योजनाएं और तीव्र गति से लागू की जा सकें।



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