“चकराता रोड पर दर्दनाक हादसा! FRI के सामने पेड़ गिरा जीप पर – एक की मौत, एक गंभीर घायल”
देहरादून, मंगलवार दोपहर:
शहर की सबसे खूबसूरत और व्यस्त सड़कों में गिनी जाने वाली चकराता रोड पर आज मौत आसमान से आई! देहरादून से नौगांव-बड़कोट जा रही एक सवारी जीप पर FRI के सामने अचानक एक विशालकाय पेड़ की टहनी टूटकर गिर गई, जिससे मौके पर ही एक व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गई और एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया।
🌳 जीप की छत टूटी दो फाड़ — अंदर बैठा यात्री कुचला गया!

⚠️ हादसे की भयावहता:
- जिस वक्त ये हादसा हुआ, दोपहर करीब 2 बजे, मैक्सी जीप (सवारी वाहन) में कुल 6 लोग सवार थे।
- अरविंद लाल, निवासी भाटिया गांव बड़कोट, की मौके पर ही मौत हो गई — पेड़ की टहनी सीधा जीप की छत चीरती हुई उनके सिर पर गिरी।
- घायल श्रमिक ‘गरास’ नेपाली मूल का बताया जा रहा है, जो बड़कोट क्षेत्र में कार्यरत था। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
- ड्राइवर महावीर रावत और चार अन्य यात्री चमत्कारिक रूप से बच गए, लेकिन ड्राइवर सदमे में कांपता रहा।
🏃♂️ मौके पर पहुंचे कांग्रेस नेता धस्माना:
हादसे की सूचना मिलते ही प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना तुरंत अपने साथियों के साथ मौके पर पहुंचे।
उन्होंने:
- पुलिस व फायर टीम के साथ बचाव कार्य में खुद भाग लिया,
- सदमे में खड़े ड्राइवर को ढाढ़स बंधाया, पानी पिलाया और घटनाक्रम की जानकारी ली,
- फिर सीधे दून अस्पताल पहुंच कर घायल श्रमिक गरास का उपचार सुनिश्चित करवाया,
- और मृतक अरविंद लाल के बेटे से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया।
धस्माना ने मौके से ही जिलाधिकारी सविन बंसल से फोन पर वार्ता कर शव का पोस्टमार्टम और गांव तक भेजने की तत्काल व्यवस्था करवाई।
उनके साथ प्रदेश श्रम प्रकोष्ठ अध्यक्ष दिनेश कौशल, उपाध्यक्ष आनंद जगुड़ी और नवीन रावत भी मौजूद थे।
💥 कई सवाल खड़े कर गया हादसा:
- 🌳 FRI जैसे संवेदनशील क्षेत्र में पेड़ों की नियमित जांच क्यों नहीं होती?
- 🚨 क्या यह प्रशासन की लापरवाही नहीं, जो एक आम इंसान की जान ले गई?
- 🛑 क्या वन विभाग और नगर निगम की जिम्मेदारी नहीं बनती इस मौत का जवाब देने की?
🧭 जनता पूछ रही है:
📢 “अगर ये हादसा किसी स्कूल बस के साथ होता तो?”
📢 “क्या शहर की सुंदरता बनाए रखने के चक्कर में खतरनाक पेड़ों की अनदेखी की जा रही है?”
📢 “क्या देहरादून जैसे स्मार्ट सिटी में जान बचाने की कोई जिम्मेदारी नहीं?”
📌 मेरु रैबार की मांग:
- घटना की स्वतंत्र जांच हो
- FRI और नगर निगम द्वारा खतरनाक पेड़ों की सूची सार्वजनिक की जाए
- मृतक के परिजनों को समुचित मुआवज़ा मिले
- और इस हादसे को ‘दुर्घटना’ नहीं, प्रशासनिक चूक माना जाए।
📢 यह हादसा नहीं, एक चेतावनी है — आने वाले खतरे की!
