देहरादून। प्रतिष्ठित समाज सेवी संस्था मौलाना अबुल कलाम आजाद अल्पसंख्यक कल्याण समिति (माकाक्स) ने उत्तराखण्ड के पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार के लाॅकडाउन उल्लंघन करने वालों पर मुर्गा बनाने या उठक-बैठक कराने जैसे अनाधिकृत तरीके न अपनाने तथा स्वागत व सम्मान से दूरी बनाने के निर्देशों का स्वागत किया है।
गिरीश गैरोला
माकाक्स अघ्यक्ष नदीम उद्दीन के अनुसार यह न केवल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन व मानवाधिकार हनन है बल्कि कुछ मामलों में अपराध की श्रेणी में भी आता है।
माकाक्स के केन्द्रीय अध्यक्ष नदीम उद्दीन एडवोकेट के अनुसार पुलिस को किसी को भी सजा देने, अवैध बल प्रयोग करने तथा सार्वजनिक अपमान करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया अवैध तरीके अपनाना व सजायें देना या अवैध हिंसा करना जहां उत्तराखण्ड सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 के नियम 3 के अन्तर्गत सेवा कदाचार है, वहीं उत्तराखण्ड पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 85 के अन्तर्गत अपराध भी है। इसी प्रकार सम्मान व पुरस्कार या कोई वस्तु प्राप्त करना उत्तराखण्ड सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 के नियम 11 व 12 का उल्लंघन है और कुछ मामलों में यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत अपराध की श्रेणी में भी आता है।
श्री नदीम के अनुसार भारत में गैरकानूनी काम किसी के द्वारा भी करने की किसी को छूट नहीं है। भले ही कितने भी अच्छे उद्देश्य से किया जाये। इसकी शिकायत पुलिस के उच्च अधिकारियों, मानवाधिकार आयोग, पुलिस शिकायत प्राधिकरण को तो की ही जा सकती है बल्कि सम्बंधित न्यायालय व मानवाधिकार न्यायालय के माध्यम से सीधे मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है। गत 20 अप्रैल को उत्तराखण्ड के पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार का उत्तराखण्ड पुलिस के अधिकारिक फेसबुक पेज पर वीडियो डाला गया है जिसमें उन्होंने पुलिस के जवानों को निर्देशित किया है कि लाॅकडाउन का उल्लंघन कर अनावश्यक रूप से सड़कों पर घूमने वालों पर कानून के अन्तर्गत कार्यवाही की जाए उन्हें मुर्गा बनाने या उठक-बैठक करने जैसी सजा देने से दूरी बनाई जाए अगर छोटी गलती हो तो सोरी कहने या लिखित में गलती मानने पर माफ कर सकते है।
हमें लोगों के प्रति हैल्पिंग और मानवीय दृष्टिकोण अपनाना है। हमें संयम और सतर्कता को नहीं खोना है। हमारी छवि सकारात्मक होनी चाहिए क्योंकि ये सब हम जनता के लिए ही कर रहे हैं। जनता को लाॅकडाउन का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें। डीजी ने यह भी कहा है कि फूल माला पहनाकर स्वागत या सम्मान करने से भी दूरी बनाए जाए, क्योंकि इसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होता है और फूलों आदि के सेनेटाइज न होने व इससे भी संक्रमण होने की सम्भावना बनी रहती है। पुलिस कर्मियों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है कि वह इन सब से बचे रहें। माकाक्स पिछले 23 वर्षों से मानवाधिकार संरक्षण सहित समाजसेवा के क्षेत्र में कार्यरत है।
उसके द्वारा उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने के बाद ही उत्तराखण्ड मानवाधिकार आयोग का गठन हुआ है तथा 2016 में उसके द्वारा उत्तराखण्ड मानवाधिकार आयोग को की गयी शिकायत पर पुलिस मुख्यालय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की गिरफतारी संबंधी गाइडलाइन का पूर्ण पालन सुनिश्चित कराने का सर्कुलर जारी किया है।