निम के प्राचार्य कर्नल अमित बिष्ट पर काश्तकार की भूमि से फलदार अमरूद के पेड़ काटने के आरोप लगाते हुए स्थानीय निवासी दिनेश उनियाल ने जिलाधिकारी उत्तरकाशी, एसडीएम, वन विभाग, पुलिस और राजस्व विभाग को लिखित सूचना देते हुए कार्यवाही की मांग की है।
उत्तरकाशी स्थित विश्व प्रशिद्ध नेहरू पर्वतारोहण संस्थान देश विदेश के शौकीन लोगो को पर्वतारोहण के बेसिक से लेकर एडवांस और सर्च एंड रेस्क्यू का प्रशिक्षण देता आ रहा है। केदारनाथ देवी आपदा में हुए महा प्रलय के बाद पुनर्निर्माण के लिए निम का नाम काफी सुर्खियो में रहा , किन्तु अब यही नाम एक काश्तकार की वैध भूमि से उसे बेदखल करने के लिए चर्चाओं में है।
दरअसल निम परिसर के अंतर्गत प्लाट नंबर 300 में 0.083 हेक्टर भूमि तो राज्य सरकार के नाम दर्ज है जिस पर निम द्वारा निर्माण कराया गया है जबकि इसी से लगी हुई 0.019 हेक्टर भूमि
कोटियाल गाँव निवासी विजेंद्र प्रसाद के नाम पर दर्ज है। निम परिसर से लगी इस भूमि पर निम और कास्तकार के बीच विवाद भी लंबे समय से है , और मामला स्थानीय एसडीएम कोर्ट से लेकर उच्च न्यायलय तक पहुँचा। 10 मार्च 2006 को उच्च न्यायालय नैनीताल ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि कास्तकार उनियाल परिवार को शांतिपूर्वक अपने कब्जे कास्त वाले हिस्से में रहने दिया जाय। और जरूरी होने पर कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए ही उनके हिस्से की जमीन का उपयोग किया जाय।
निम द्वारा सुरक्षा कारणों का हवाला देतें हुए जिला प्रशासन से उक्त जमीन के अधिग्रहण के लिए अनुरोध किया गया किन्तु जिला कलेक्टर द्वारा आपसी सुलह समझौते से ही जमीन का सौदा कर भूमि निम के नाम करने का सुझाव दिया गया। पूर्व में निम में तैनात कर्नल अजय कोटियाल ने उक्त सुलह समझौते के आधार पर उक्त भूमि क्रय करने हेतु कास्तकार को पत्र लिखा गया। भूमि के वारिस दिनेश उनियाल ने बताया कि इलाके में जो जमीन के रेट प्रचलन में है उसी दर पर उन्होंने भूमि बेचने के लिए हामी भरी थी अथवा भूमि के बदले अन्यत्र भूमि की मांग सरकार से की थी किन्तु निम की तरफ से पूरी 11 नाली भूमि के 40 लाख रु देने की पेशकश की गई थी जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था।
अब सीधे उंगली घी निकलते न देख उक्त विवादित भूमि पर लगाये गए अमरूद के हरे पेड़ चुपचाप कटवा दिए गए। मौरिसदर दिनेश उनियाल ने बताया कि सूचना मिलने पर उनके द्वारा संबंधित विभागों में रिपोर्ट की गई तो कटे गए पेड़ो की जड़ो तक को गायब करवा दिया गया ।
वन विभाग की तरफ से रेंज अधिकारी ओम प्रकाश मेधवाल को मौके पर भेजा गया किन्तु फलदार अमरूद के पेड़ों को उद्यान विभाग से संबंधित मामला बताते हुए विभाग ने पल्ला झाड़ लिया ।
वही एसडीएम भटवाड़ी देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि आम के अलावा सभी फलदार पेड़ो को काटने के लिए कोई अनुमति की जरूरत नही होती है और न ही अमरूद के पेड़ काटने पर कोई अपराध बनता है, किंतु किसी दूसरे के खेत से अमरूद के पेड़ काटना और वो भी हाई कोर्ट के निर्णय के आलोक में कि उक्त भूमि में उन्हें शांतिपूर्वक रहने दिया जाएगा और कानूनी प्रकिया अपनाते हुए ही भूमि के लैंड ट्रांसफर की कार्यवाही की जाएगी इस पर उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को देख रहे है उन्होंने मौके पर अपने अधिनस्त अधिकारियों को रिपोर्ट देने के लिए भेजा है लिहाजा उच्च न्यायलय के निर्देशों का पालन करते हुए कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
निम के प्राचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि प्लाट नंबर 300 में इस विवादित सवा 11 नाली भूमि के करीब 17 दावेदार सामने आए है जिसके एवज में इस परिवार से जुड़े करीब 25 लोगो को नौकरी दी जा चुकी है। भूमि विवाद पर उन्होंने कहा कि मौके पर मौजूद निम की भूमि पर भी उक्त परिवार अपना दावा जता रहा है, राजस्व विभाग को जमीन पर नाप जोख के बाद लैंड मार्क स्थापित करने के लिए कहा गया है ताकि अपनी भूमि की घेरा बंदी की जा सके । हरे अमरूद के पेड़ काटने के आरोप को उन्होंने बेबुनियाद बताया साथ ही यदि तरह भूमि विवाद करने पर 25 वर्ष पूर्व इसी परिवार द्वारा 250 रु जुर्माना भी भरा गया है।
बहरहाल हरे पेड़ काटने का विवाद अब पूरी तरह राजस्व विभाग पर टिक गया है, चुनावी तैयारियों के बीच जितनी जल्दी जमीन की मार्किंग कर बाउंड्री वाल लगेगी उतनी ही जल्दी भूमि विवाद का निपटारा हो सकेगा।
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