मोटी रकम वेतन में लेने वाली सरकारी उपक्रम बीएसएनएल और निजी सेवा प्रदाता की कार्य प्रणाली अब धरातल पर आम लोगो को भी समझ आने लगी है। फाइलों में काम करने वाली कंपनी को जमीन पर काम दिखाने वालों ने गंदी नाली में घुसेड़ कर रख दिया।
जमीन पर धूल खा रही सरकारी सेवा वही प्राइवेट सेवा ऊंचाई पर हवा में दौड़ती नजर आती है।
जी हाँ हम तुलना कर रहे है देश की सरकारी, भारत दूरसंचार सेवा बीएसएनएल के साथ एयरटेल , जियो जैसे निजी ऑपरेटर्स की। अब भाई साहब नही लगेगा इसी लिए तो जुमला हो गया । देश को दुनिया से जोड़ने के लिए बीएसएनएल की ओएफसी पेड़ो पर लटकती कभी नाली की गंदगी से गुजरती कभी पानी से खराब हो रही तो कभी जंगल की आग से जल रही,
वही एयरटेल और जियो जैसी इंटरनेट सेवा की ओएफसी बाकायदा अपने अलग से खम्बो।से होते हुए गंतब्य की तरफ शान से बढ़ रही है। निस ओएफसी को उत्तराखंड के चार धाम मार्ग पर निजी ऑपरेटर अब पहुचा कर एक बड़ी जंग जीतने का दावा कर रहे है वहाँ बीएसएनएल बर्षो पूर्व अपनी अंडर ग्राउंड ओएफसी बिछा चुका है ,जो बीएसएनएल कभी स्पेक्ट्रम बांटने का काम करता था आज अपने टावर निजी ओपेरटेरो को किराए पर देने की दयनीय स्थिति में आ गया है, बिल भुगतान नही होने से बिजली का कनेक्शन भी कटने की कगार पर आ चुका है।
अब देश की इस प्रतिष्टित निगम की पतली हालात के लिए निकम्मे कर्मचारी जिम्मेदार है या घटिया मैनेजमेंट ये आपको तय करना है।