600 रु के लिए कक्षा दो की मासूम छात्रा को परीक्षा देने से रोक दिया गया। बिन माँ की इस बच्ची ने अपनी बुआ को बताया कि ड्रेस नही होने के चलते उसे परीक्षा से बाहर कर दिया गया । सूचना पर मीडिया के प्रतिनिधि मौके पर पहुँचे तो मामला बिगड़ते देख स्कूल टीचर ने बच्ची को ड्रेस उपलब्ध करवा दी।
मामला राजकीय प्राथमिक विद्यलय सितारगंज प्रथम उद्यम सिंह नगर का है। महाराणा प्रताप चौक निवासी सूरज गुप्ता की पुत्री प्राथमिक विद्यालय प्रथम में कक्षा दो की छात्रा है। बालिका मुस्कान की माता का निधन हो चुका है उसका पालन पोषण मुस्कान की बुआ कर रही हैं बुधवार को स्कूल प्रबंधन ने ड्रेस ना होने की वजह से बालिका से घर भेज दिया। मासूम बालिका लगभग 1 किलोमीटर पैदल चल कर घर पहुंची उसने अपनी बुआ को बताया कि ड्रेस ना होने के कारण उसे विद्यालय प्रबंधन ने परीक्षा में सम्मिलित नहीं होने दिया है। इसके बाद मुस्कान की बुआ माधुरी गुप्ता बच्ची के साथ विद्यालय पहुंच गई। उन्होंने मीडियाकर्मियों के सामने आरोप लगाया कि विद्यालय प्रबंधन ड्रेस के ₹600 की मांग कर रहा था साथ ही ₹100 अन्य की डिमांड उनसे की गयी। प्रधानाध्यापिका पूनम मिश्रा ने आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने बताया कि बैंक खाता नही होने के चलते ऐसा हुआ है। किंतु बच्ची को परीक्षा देने से वंचित करने के सवाल पर वे गोलमोल जबाब देने लगी। हालांकि मामला बिगड़ता देख स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्ची को ड्रेस उपलब्ध करा दी गयी।
रिपोर्टर-अहसान अंसारी सितारगंज
बिन मां की मासूम बच्ची को ड्रेस के आभाव में सरकारी स्कूल प्रबंधन ने घर भेज दिया। इस वजह से बच्ची स्कूल में होने वाली परीक्षा में शामिल नही हो सकी। जिसपर परिजनों ने रोष जताया इसके बाद बच्ची परीक्षा दे सकी।
महाराणा प्रताप चौक निवासी सूरज गुप्ता की पुत्री प्राथमिक विद्यालय प्रथम में कक्षा दो की छात्रा है। बालिका मुस्कान की माता का निधन हो चुका है उसका पालन पोषण मुस्कान की बुआ कर रही हैं बुधवार को स्कूल प्रबंधन ने ड्रेस ना होने की वजह से बालिका को घर भेज दिया मासूम बालिका लगभग 1 किलोमीटर पैदल चल कर घर पहुंची उसने अपनी बुआ को बताया कि ड्रेस ना होने के कारण उसे विद्यालय प्रबंधन ने परीक्षा में सम्मिलित नहीं होने दिया है इसके बाद मुस्कान की बुआ माधुरी गुप्ता बच्ची के साथ विद्यालय पहुंच गई उन्होंने मीडियाकर्मियों के सामने आरोप लगाया कि विद्यालय प्रबंधन ड्रेस के ₹600 की मांग कर रहा था साथ ही ₹100 अन्य की डिमांड उनसे की गयी। प्रधानाध्यापिका पूनम मिश्रा ने आरोपों को निराधार बताया है। जबकि मामला बिगड़ता देख स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्ची को ड्रेस उपलब्ध कराई गयी।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारे देने वाले शिक्षा विभाग के विद्या के मंदिर में ही नारे की धज्जियां उड़ रही है।
https://youtu.be/l5kd3-LxBg4
जाहिर है कि मकसद नियम कानून के पालन कर नौकरी पूरी करने तक सीमित है असल मे समस्या के समाधान की तरफ तो ध्यान ही नही है। इस बार मीडिया की मौजूदगी से मुस्कान की ड्रेस तो मिल गयी किन्तु दर्जनों मासूमों की चेहरे पर मुस्कान लाना ही बेटी पढ़ाओ नारे का उद्देश्य होना चाहिए तभी बेटी पढ़ भी सकेगी और बढ़ भी सकेगी।
https://youtu.be/l5kd3-LxBg4