स्वर्णिम विजय मसाल के चंपावत पहुंचने पर चंपावत सैनिक कल्याण बोर्ड में जिला प्रशासन, फौज, आइटीबीपी,एसएसबी ने भव्य स्वगात किया कुमाऊं रेजीमेंट के बैंड की धुन में सैनिक कल्याण बोर्ड मैदान में अमर जवान शहीद स्मारक में मशाल को रखा गया सेवानिवृत्त सकार्डरन लीडर एमसी शर्मा ने 1971 के जवानों की याद में जलाई गई मशाल को सलामी दी ।
१९७१ में पाकिस्तान के साथ हुए बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में चंपावत जिले के जवानों का भी अहम योगदान है। इस जंग में जिले के १३ जांबाज शहीद हुए थे। इसके अलावा ढेरों लोगों ने बहादुरी से लड़ते हुए दुश्मन के दांत भी खट्टे किए। ८१ साल के हो चुके कैप्टन पीएस देव की आंखों में ४९ साल पूर्व की युद्ध स्मृतियां तरोताजा है। उनकी पलटन 6 कुमाऊं को पश्चिमी सेक्टर में भेजा गया था। सांभा से आगे बढऩे लगे। पाक की सीमा पर पहुंच आरसीएल में तैनाती मिली। टैंक तोडऩे का आदेश मिला। पाक सैनिकों के बंकर में उनकी गन के गोले से सात पाकिस्तानी सैनिक हताहत हो गए। वहीं कैप्टन एनके पुनेठा ने भी युद्ध में अदम्य साहस दिखाया। नागा रेजीमेंट में रहते हुए कृष्णा नदी के किनारे धर्मादा में मोर्चा संभाला। जहां से ढाका पहुच पुनेठा ने अन्य साथियों के साथ 11 दिनों तक युद्ध में बहादुरी से मोर्चा संभाला। बाद में पाकिस्तानी सेना ने हथियार डाल दिए।
१९७१ के जंग में शहीद हुए चंपावत के १३ फौजी:
कैप्टन उमेद सिंह माहरा, चामी चौमेल के सिपाही जोध सिंह, कलीगांव के सिपाही प्रताप सिंह, छंदा रेगडू के सिपाही शिवराज सिंह, कमैला के सिपाही केशव दत्त, ज्वाला दत्त, मल्लाकोट के नायक मान सिंह, मल्लाढेक के सिपाही ज्ञान सिंह, भाटीगांव के पायनियर रेवाधर, बुंगली के सिपाही हीरा चंद, रमैला के सिपाही हयात सिंह, सौंज के सिपाही केदार दत्त और मुडिय़ानी के सिपाही प्रहलाद सिंह।