आखिर सरदार सरोवर के 25 गेट्स खोलने पड़े …. फिर भी डूब जारी है गांव गांव में और पुनर्वास स्थलों में भी ?
नर्मदा घाटी की हत्या देखकर रो पड़ा है आसमान |
अंकित तिवारी
नर्मदा किनारे राजघाट में पहली आयी डूब जहाँ से 2017 में गांधी समाधि मध्य रात्र के नाद निहारत रूप से हटायी गयी थी | उसके पीछे पीछे निसरपुर की नीचली बस्तीयाँ डूबकर पानी बड़े मंझिली घरों / दुकानों में पहुंचा और छोटा बडदा गांव में मुहल्लों को घिरकर बैठा | राजघाट में चल रहे सत्याग्रह पर सात्याग्रही युवा – बुजुर्गो से बात ण करते हुए प्रशासन ने पुलिसों के साथ पुनर्वास अधिकारी को भेजकर कुछ दूकान , कुछ घर खाली करवाये … तो आक्रोशित हुए, राजघाट के , अलावा पिछोडी बगुद, पिपलुद, छोटा बडदा, कड़माल, निसरपुर …. गांव गांव में पुनर्वास अधूरा होते हुए डुबोना, कईयों के खेत, खलिहान और घर गांवो के मंदिर डूबने लगे | महाराष्ट्र में पुनर्वास स्थलों पर निकास की व्यवस्था नहीं की गयी तो पूरी खेती कई घर कार्थडे दिगर , मोड़, वडचील जैसी बसाहटों में डूब गये ! डूब से बचने आए और भुगतने को मजबूर हुए बरबादी !
नर्मदा घाटी में जो हाहाकार मचा हुआ है, वह बाढ़ का नहीं, डूब का है | एकेक गांव में, सरदार सरोवर से😢 टकराकर पीछे बढ़ता पानी घुसकर डुबोना शुरू हुआ, कल सुबह से तो मध्यप्रदेश शासन , जो संवादहीन नहीं रही, उसके पास कोई जवाब नहीं या पिछले 15 सालों में अधिक लेकिन कुल 34 सालों से संघर्ष करते आये लोग , बिना पुनर्वास डूब नामंजूर करते हुए, अपेक्षा करते रहे कि नयी सरकार सभी निर्णय लेगी, अमल भी करेगी, हर मुद्दे पर ! लेकिन बात होती रही, आश्वाशन मिले, विस्थापितों के साथ ठीक पेश आयी सरकार हर स्तर पर – मुख्यमंत्री तक ! पर निर्णय और अमल दोनों पूरे नहीं हो पाये |
महाराष्ट्र , गुजरात में सैंकड़ों तथा मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में हजारों हजार परिवार मूल गाँव में बसे हुए हैं तो पानी नहीं भर सकते, यह बात तो मध्यप्रदेश शासन को माननी पड़ी | फिर भी मात्र 6000 परिवार डूब में आ सकते हैं, यह संख्या और वक्तव्य आंदोलन ने नामंजूर किया तब जांच शुरू हुई | अभी भी टंगी है नयी सूचियाँ ग्राम पंचायतों में कुछ तहसीलों में, गलतीयों के साथ | कब होगी निश्चित ? छूटे हुए हैं गरीब गुरबा ! कौन देगा इन्हें घर बनाने का मौका ? डूब के 6 महीन पहले होता है पुनर्वास पूरा और उसके बिना क़ानून से मना है किसी की संपत्ति क्या | निवास या आजीविका डुबाना | 32000 परिवार हैं डूब क्षेत्र में आज भी |
इसीलिए आन्दोलनकारियों की थी मांग , सरदार सरोवर के गेट्स खोलने की ! मध्यप्रदेश शासन ने भी उठायी …. उन्हें भी लाना पड़ा दबाव ! राजघाट पर शुरू हुआ सत्याग्रह ! आखिर रात 2 बजे कलेक्टर ने आकर हमने सुझाई पद्धति के अनुसार तत्काल राजघाट से शुरू करके गांव गांव में शिबिर लेकर आगे बढ़ाना निश्चित किया और गेट्स खोलने की खबर आयी, तब सत्याग्रह स्थगित किया गया | 25 गेट्स खोले गये 1 लाख क्यूसेक्स छोड़ा गया पानी | पुनर्वास और पर्यावरणीय कार्य युद्ध स्तर पर पूरा करना, किसान, मजदूर, केवट, कुम्हार, मछुआरे, दुकानदारों को पूरा हक देना जरूरी है सबसे महत्व का है उपरवास एवं नीचेवास के लोगों के लिए गेट्स आगे भी खुले रखकर नर्मदा को बहती रखना, नदिबांधना ! गुजरात में हाहाकार मचाया पानी अब संजोगे और प्यास बुझाये | बिजली तो निर्माण नहीं हो रही है तो मध्यप्रदेश को बचानी होगी नर्मदा जीवनरेखा |
जगदीश पाटीदार, सीताराम पाटीदार, मयाराम अवास्या, जयदीप दरबार, देवेन्द्र सोलंकी, राहुल यादव, महेंद्र तोमर, डिम्पल सेन, कमला यादव, लतिका राजपूत