चार धाम यात्रा मे कोविड गाइड लाइन के चलते जहा यात्री बिना धाम के दर्शन किए ही वापस लौटने को मजबूर है वही सत्ता से जुड़े बड़े नेताओ की मौजूदगी मे गंगा घाट पर बड़ी तादाद मे न सिर्फ लोगो की भीड़ जुटाकर कोविड एसओपी का मज़ाक बनाया गया बल्कि सरकारी गाड़ियो का भी जमकर दूरप्रयोग हुआ | भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राज्यपाल से इस मामले मे दाखल देने की मांग की है |
गंगा सभा ऋषिकेश के पदाधिकारी विधानसभा अध्यक्ष के दवाब में चला रहे हैं गंगा सभा :- जयेन्द्र रमोला
मंगलवार 18 सितंबर को जारी एक बयान में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने कहा कि जहां सरकार एक ओर कोरोना की गाइडलाइन के तहत चार धाम यात्रा को चला रही है और धामों पर जाने के लिये सीमित यात्रियों को ही पास जारी कर रही है जबकि
कई यात्री आज भी बिना यात्रा किये वापिस लौट गये हैं,
वहीं दूसरी ओर दो दिन पूर्व भाजपा की महिला मोर्चा की नेत्रियों व स्थानीय विधायक व मेयर सहित त्रिवेणी घाट गंगा तट पर सैकड़ों भाजपा नेताओं ने एक साथ आरती की जो कि आरती परिसर व गंगा सभा के नियमों के विरूद्ध है परन्तु इस कार्यक्रम से गंगा सभा की भूमिका बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है| गंगा सभा एक धार्मिक संस्था है और इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिये
परन्तु दो दिन पूर्व हुऐ कार्यक्रम में गंगा सभा के बनाये नियमों की धज्जियाँ सत्ता पक्ष के लोगों ने उड़ाई और गंगा सभा के पदाधिकारियों ने इसका समर्थन किया जबकि अन्य लोगों को नियम क़ानून पढ़ाने का काम करते हैं, इसीलिए कहीं न कहीं ये दर्शाता कि गंगा सभा के पदाधिकारी सत्ता पक्ष के लोगों के दवाब में आकर कार्य कर रहे हैं जोकि निंदनीय है
क्षेत्रीय विधायक व विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा के अध्यक्ष पद की गरिमा को तार तार कर बीजेपी की नेत्रियों के स्वागत में लगे रहे और पूरे घाट परिसर में उनके स्वागतों के होर्डिंग लगाकर घाट की सुन्दरता को ख़राब किया साथ ही सरकारी गाड़ी से भाजपा के होर्डिंगों को लादकर ले ज़ाया गया जो कि सरकारी सम्पत्ति का दुरूपयोग करने के अपराध की श्रेणी में आता है पर यहाँ सत्ता पक्ष के लोगों के सारे जुर्म माफ़ है, इसीलिये ये एक के बाद एक क़ानून को तोड़ने का काम कर रहे हैं – रमोला
रमोला ने बताया कि नियम व क़ानून सबके लिये बराबर होना चाहिए, मैं राज्यपाल महोदय से माँग करता हूँ कि इसपर कार्यावाही की जाये अन्यथा चार धाम यात्रा को पूर्ण रूप से बिना रोक टोक के चलाया जाये और पास की व सीमित संख्या की बाध्यता समाप्त की जाये ।
