जल संस्थान की योजनाओ पर फ़िल्टर की दरकार।

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नगर में गंदले पानी की शिकायत के बाद हरक़त में आया जल संस्थान।
गिरीश गैरोला
झांसी से पीने के पानी को फिल्टर करने के नाम पर मंगाई जाने वाली लाखों की रेत से आखिर पानी साफ क्यों नही हो रहा है?  वर्ष भर में जनपद में कितनी रेत फ़िल्टर में उपयोग होती है और टैंक की सफाई वर्ष में कितनी बार होती है इन सवालो के सटीक जबाब विभाग के पास नही है। घर ने नल में गंदला पानी आने के बाद जल संस्थान के अधिकारी ने व्यवस्था में बदलाव के संकेत दिए है।

बरसात के चार महीनों में जल जनित बीमारी होने की ज्यादा संभावना को देखते हुए प्रशासन और जल संस्थान के साथ स्वास्थ्य विभाग भी पूर्व से तैयारियो में जुुुट जाता

 है। शिव नगरी उत्तरकाशी में चार धाम यात्रा का भी अतिरिक्त भार रहता है, इसके बाद भी घर  में पीने के गंदे पानी की शिकायत के बाद लोगो ने विभाग से शिकायत की।

गौरतलब है कि जिला मुख्यालय उत्तरकाशी में संगम चट्टी रोड से पानी के स्रोत के अक्सर बह जाने अथवा गंदला पानी की आपूर्ति को देखते हुए रामलीला मैदान में मोटर चलित पम्प से भूमिगत जल का पीने के पानी के लिए एक बड़ी योजना बनाई गई है। किंतु इस पम्पिंग योजना से पानी न देकर सीधे गाड़ गदेरे से पानी की आपूर्ति किये जाने से गंदे पानी की आपूर्ति की जा रही है।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लोकेंद्र बिष्ट ने आरोप लगाया कि पानी को फ़िल्टर करने के नाम पर झांसी से विशेष प्रकार की रेत मंगाई जाती है, इसके बाद भी पानी साफ नही है,
जाहिर है कि फ़िल्टर टैंक ठीक से काम नही कर रहा है उन्होंने चिंता जताई कि वर्षा काल मे जल जनित बीमारी का ज्यादा डर रहता है बरसात के बाद तो लगभग सभी खुले श्रोतो का पानी भी स्वतः साफ हो ही जाता है।
जल संस्थान के अधिशाषी अभियंता बलदेव डोगरा ने बताया कि पानी मे गंदलापन अधिक आने से अब रामलीला मैदान से पम्पिंग कर नगर में स्वच्छ जल की आपूर्ति की जा रही है और अन्य स्थानों पर  पेयजल फ़िल्टर होने के बाद ही घरों में भेजा जा रहा है।
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