देहरादून। आप पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल राय आज अपने कुमाऊं दौरे के दौरान चंपावत विधानसभा पहुंचे जहां पहुंचकर उन्होंने जनता से नव परिवर्तन संवाद किया इससे पहले वहां पहुंचने पर आप कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि 14 फरवरी को जनता जो फैसला करेगी वह फैसला 1 दिन का नहीं ,बल्कि 5 सालों के लिए होगा। इसलिए सोच समझ कर अपना वोट का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ 5 साल नहीं देखने बल्कि बीते हुए 21 सालों को भी देखना है,जिन 21 सालों में प्रदेश के लिए कोई भी विकास के कार्य नहीं हुए क्योंकि उत्तराखंड के अंदर जिन पार्टियों को 21 साल सरकार चलाने का मौका मिला उन पार्टियों ने दोबारा 14 फरवरी के लिए हाथ जोड़ने शुरू कर दिए हैं।
उत्तराखंड में 21 साल पहले राज्य निर्माण के बाद सरकार बनी 10 साल कांग्रेस को मौका दिया और 11 साल बीजेपी को जनता ने मौका दिया, लेकिन दोनों पार्टियों ने जनता को धोखा देने का काम किया। दोनों ही सरकारों को बारी-बारी से जनता ने बनाया और दोनों ही सरकारों ने अपने वादे पूरे नहीं किए और जनता को धोखा देने का काम किया। 21 साल से उत्तराखंड के लोग कांग्रेस भाजपा को मौका देते आए हैं और दोनों ही दल जनता को 21 साल से धोखा देने का काम कर रहे हैं। यही है 21 सालों का इतिहास और इस इतिहास को दिमाग में रखना बहुत आवश्यक है। यहां 21 साल से पार्टियां बदली ,नेता बदले ,मंत्री बदले, मुख्यमंत्री बदले लेकिन उत्तराखंड के आम आदमी का तस्वीर और तकदीर नहीं बदली। यहां के सरकारी स्कूल पहले से और खराब हो गए ,अस्पताल और खराब हो गए, बिजली के दाम पहले से बढ़ गया ,महंगाई बढ़ गई ,इसलिए अबकी बार जनता बदलाव चाहती है । उत्तराखंड के अंदर अब तक बी और सी की लड़ाई थी यहां पर लोग दोनों कंधों पर बीजेपी और कांग्रेस का बोझ उठा रहे थे। 21 साल से उत्तराखंड की जनता पार्टी का इंतजार कर रही थी और वह पार्टी है आम आदमी पार्टी अबकी बार चुनावी रण ए बी और सी के बीच होने जा रहा है। जब से आप पार्टी ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया। तब से बीजेपी और कांग्रेस दोनों में बौखलाहट है। उन्होंने कहा कि यहां अस्पताल, स्कूल, रोजगार ,महंगाई ,पलायन से जनता परेशान हो चुकी है। लेकिन 21 सालों में यहां रही सरकारों में प्रदेश की जनता के लिए कोई कार्य नहीं किया। उन्होंने सरकारी स्कूलों का उदाहरण देते हुए कहा कि आज उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के बुरे हाल हैं कई सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं और लोग अपने बच्चों को मजबूरन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। पहले दिल्ली में भी ऐसी ही स्थिति थी लेकिन हमारी सरकार बनते ही हमने सबसे पहला कार्य शिक्षा पर किया जिसके चलते आज वहां लोग प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं और उत्तराखंड में सरकार बनने पर भी हम इस व्यवस्था को यहां लागू करेंगे।