11 करोड़ का आपदा किट घोटाला दबाने को एसआइटी जांच का आरोप

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प्रधानों की जांच का दांव पड़ सकता है उल्टा।

बीडीसी  बहिष्कार कर जताया विरोध।

प्रधानों ने सरकार पर लगाया दबाव की नीति का आरोप।

आपदा किट में डीएम की जांच में घोटाले की पुष्टि के बाद कार्यवाही पर चुप्पी क्यों।

उत्तरकाशी में हुआ था 11 करोड़ के आपदा किट घोटाले का खुलासा।

सवा दो वर्ष तक क्यों छुपाए रखा नया पंचायती एक्ट।

गिरीश गैरोला।

आपदा किट घोटाले की आवाज उठाने वाले प्रधानों के सुर  बिगाड़ने के लिये ग्राम पंचायतों की निर्माण कार्यो की एसआईटी जांच का फैसला पंचायती राज मंत्री के साथ डीएम उत्तरकाशी के लिए भी जी का जंजाल बन गया है।उत्तराखंड प्रधान  संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गिरवीर परमार ने प्रधानों पर दबाव की नीति के तहत किये जा रहे जांच के फरमान के खिलाफ चार सूत्रीय मांगों को लेकर बीडीसी भटवाडी का बहिष्कार किया । उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में इस फैसले के विरोध स्वरूप बीडीसी बहिष्कार किया जाएगा।

https://youtu.be/44dfGQ65d2Y

 

गौरतलब है कि सूबे के सभी गांवों में मानसून से पहले आपदा किट पहुँचाने का अच्छा  फैसला सरकार ने  लिया किन्तु बिचौलियों ने इसमें मिलावट कर 20 हजार दो सौ रु के किट में महज 7 हजार का सामान भेज प्रति किट 13 हजार और पूरे प्रदेश से 11 करोड़ की मलाई  गर्म दूध से चुपचाप चट कर दी। मामला दब भी जाता किन्तु उत्तरकाशी जनपद के तेज तर्रार प्राधन अनिल रावत ने इस घोटाले का मीडिया में खुलासा कर सबको नंगा कर दिया। पता चला कि  फैसले में ऊपरी  दबाव के चलते खास संस्थान से किट खरीदने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए सदैव की तरह अपने अधीन को सत्ता के बड़े बाबुओं ने खुद का बचाव करते हुए निचले स्तर के अधिकारियों को मौखिक निर्देश देकर अपनी तो लॉयल्टी साबित कर दी किन्तु अब आपदा किट की जांच में 11 करोड़  मलाई का खुलासा होने सबसे निचले पायदान पर छोटे अधिकारियो को बॉस की खाई मलाई की कीमत चुकानी पड़ सकती है और उनकी   नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
प्रधाम संघटन के प्रदेश अध्यक्ष गिरवीर परमार ने बताया कि सरकार से उनके सीधे चार सवाल है।
1-  प्रधानों के कार्य की जांच के साथ  क्षेत्र पंचायत , जिला पंचायत और विधायक, सांसद निधि के कार्यो को भी जांच में
सामिल किया जाय।
2 – पंचायती राज मंत्री के एक माह के अस्वासन के एक वर्ष बाद भी सूबे को एक वर्ष बाद अपना पंचायती राज एक्ट नही मिला।
3 ग्राम पंचायत के कार्यो का सोसल ऑडिट एनजीओ से न कराकर , सरकारी तंत्र से किया जाय। क्या सरकार को उनके खुद के तंत्र पर विश्वास नही है?
4 आपदा किट घोटाले में डीएम उत्तरकाशी डॉ आशीष चौहान द्वारा कराई गई जांच में प्रति किट 13000 रु के घपले की पुष्टि के बाद प्रदेश के कुल 7856 ग्राम  सभाओं को मिलाकर करीब 11करोड़ के घोटाला  की एसआईटी जांच की जाय।
श्री परमार ने कहा कि उत्तरकाशी जनपद में आपदा किट की पोल खुलने के बाद डीएम की जांच रिपोर्ट में घोटाले की पुष्टि तो हो गयी किन्तु दोषियों को बचाने की कोशिस की जा रही है। उन्होंने जांच के बाद ईमानदार जिलाधिकारी से व्यापक जनहित में दोषियों के नाम  उजागर कर उनके खिलाफ कार्यवाही की अपेक्षा की है।
 दरअसल राज्य वित्त से की गई इस बंदर बांट को प्रधान अपने हिस्से के बजट पर डाका मानकर चल रहे है,  यदि बजट किसी अन्य मद से भी निकाला जाता तो भी एक बार प्रधान संघटन इसे  दूसरे की फटी में टांग अड़ाने वाला कदम मानकर चुप भी हो जाते ,  किन्तु उन्ही के हिस्से में से बड़े प्यार से बिल्ली मलाई चाटकर दाढ़ी – मुछ साफकर ईमानदारी के देशभक्ति वाले   गीत गुनगुनाने लगे तो एक हड़काना तो बनता है। इतना ही नही सत्ता की हनक में अपने लिए गए गलत फैसले को सच और खुद को निर्दोष साबित करने की एसआईटी जांच का यह दांव भी उल्टा पड़ ,  जीरो टॉलरेन्स की किरकिरी कर सकता है। हालांकि सदैव की  तरह इस बार भी बड़े बाबुओं ने अपने खिलाफ कोई सबूत नही छोड़ा है खैर  सबूत तो आंखों में पट्टी बंधे न्याय के मंदिर  को जरूरत होती है जनता की अदालत में किसने मलाई खाई,  किसने दूध।पिया और किसने दूध की कमी पानी भरकर पूरी की सबका पूरा  हिसाब है।
सदन में मौजूद मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत कुमार आर्य में बताया कि उत्तराखंड पंचायती राज विधेयक 7 अप्रैल 2016 से लागू हो गया है जिसकी प्रतिलिपी पंचायती राज अधिकारी को दे दक गयी है जिसकी प्रति सदन के सदस्यों को भी उपलब्ध करा दी जाएगी।
 बड़ा सवाल ये कि सवा दो वर्ष तक विधेयक की प्रति पंचायत सदस्यों को क्यों नही दी गयी इसे राज बनाकर क्यों रखा गया?
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