विधानसभा बैक डोर भर्ती मामले में क्या अब बड़े चेहरों पर गाज गिरने वाली है ? बड़े लोगो पर कार्यवाही को लेकर जो बड़े सवाल अब तक गूंज रहे थे क्या उनके जवाब मिलने शुरू हो गए हैं ?
क्या बड़े अधिकारी और नेताओं के गले के फंदे का नाप तैयार हो गया है ? और इसको लेकर अटकलों का बाजार अब बंद होने वाला है ? क्या बीजेपी सरकार अब बड़े फैसले लेने की तैयारी कर रही है ? क्या ये फैसले सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर उत्तराखंड की राजनीति में लकीर मानकर राज्य सरकारो का मार्ग दर्शन करने जा रहे है ? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के खासम खास मुकेश सिंगल को दो पद पीछे कर डिमोशन कर दिया है जिसके बाद सियासी हलकों में इसे अप्रत्यक्ष तौर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल पर का ही कार्यवाही का ही हिस्सा माना जा रहा है ।
पूर्वविधान सभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को नए साल के पहले दिन करारा झटका मिला है और झटका किसी और नहीं बल्कि मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने दिया है रितु खंडूरी ने पहले ही दिन एक ऐसा फैसला लिया इसको लेकर अब चर्चा का दौर सुरू हो गाय है चर्चा सीधे तौर पर प्रेमचंद अग्रवाल को लेकर ही हो रही है क्योंकि रितु खंडूरी ने जो कदम उठाया है उस कदम के कई मायने निकाले जा रहे हैं समझे जा रहे हैं और भविष्य में इस फैसले को एक लकीर के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है ।
प्रेमचंद अग्रवाल ने ऐसा कौन सा काम किया था जिसकी वजह से उन्हें नए साल के पहले दिन ऐसा तोहफा मिला , पहले दिन ही करारा झटका लगा , प्रेमचंद अग्रवाल पहले दिन से ही विधानसभा बैक डोर भर्ती को लेकर सवालों के घेरे में हैं पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी उनके खिलाफ उनके खिलाफ आवाज उठाई थी
दूसरी और रितु खंडूरी ने जो फैसला लिया उस फैसले के बाद सियासत एक नई दिशा की तरफ है और उस सियासत के अब आगे क्या परिणाम होंगे यह भविष्य बताएगा लेकिन मौजूदा दौर में रितु खंडूरी के फैसलों की चर्चा खूब हो रही है और अब उनका सबसे ताजा फैसला विधानसभा के सचिव जिन्हें पहले रितु खंडूरी ने सस्पेंड किया गया था उनही मुकेश सिंगल का डिमोशन भी कर दिया है यानी अब जो पहले सचिव स्तर के अधिकारी थे और सचिव की सैलरी ले रहे थे अब अब उन्हें जॉइंट सेक्रेटरी स्तर की सैलरी मिलेगी याने 2 पद पीछे हो गए हैं जाहीर है अब उनकी सैलरी भी कम होगी ।,
यह रितु खंडूरी का ताजा फैसला है और नए साल के पहले दिन इस तरीके के फैसले को लेकर भी खूब चर्चा हो रही है और प्रेमचंद अग्रवाल एक बार फिर सुर्खियों में हैं खबरों में हैं खबरों में इसलिए कि प्रेम चंब्द अग्रवाल वही विधानसभा के अध्यक्ष हैं जिन्होंने मुकेश सिंगल को एक के बाद एक प्रमोशन देकर सचव नियुक्त किया था
अगर एक ही वक्त एक ही साल में दो दो प्रमोशन किसी खास को को मिलेंगे तो उसमें सवाल उठने लाज़मी हो जाते हैं अब दूसरी और जो विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारी हैं उनका भी आंदोलन चल रहा है लेकिन यह आंदोलन कब तक चलेगा इसी तरीके से कब तक धरने वे लोग पर बैठे रहेंगे उनके साथ आगे क्या होगा इस सवाल का जवाब फिलहाल नहीं है, यह लोग न्याय की मांग कर रहे हैं अधूरा इंसाफ की बात कर पूरा इंसाफ मांग रहे हैं और पूरा इंसाफ तभी होगा जब सभी कर्मचारी जो उत्तराखंड राज्य बनने के बाद विधानसभा में लगे थे उनकी भी नौकरी जाएगी या फिर इनकी भी बहाली होगी या अलग पहलू है लेकिन प्रेमचंद अग्रवाल के खास पर ये कड़ी कार्यवाही ये बताती है कि अब तक तमाम जो सवाल उठ रहे थे कि बड़े लोगों पर कब कार्यवाही होगी उसको काफी हद तक जबाब मिल गया है लेकिन उससे बड़ा पहलू यह है की इस प्रकरण मे प्रेम चन्द्र अग्रवाल की कुर्सी बरकरार रहेगी य नहीं यह सवाल अब फिर से उठने लगा है