भ्रष्टाचार की कोठरी में तुम्हारी कमीज हमारी कमीज से ज्यादा साफ नहीं है। उत्तराखंड में 20 पुलिस दरोगाओ के सस्पेंशन कि खबर इसी बात को पुष्ट करती है । अर्थात सरकार बीजेपी की हो अथवा कांग्रेस की सभी के कार्यकाल में गड़बड़ियां हुई है भर्ती घोटाले, नकल घोटाले और न जाने कितने घोटालों की बात को लेकर धरना प्रदर्शन कर रही कांग्रेस को घेरने के लिए अब बीजेपी सरकार को भी एक नया मुद्दा मिल गया है जिसके बाद कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में लगे हुए 20 दरोगाओ को सस्पेंड कर दिया गया है अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी भर्ती घोटाले मे विपक्षी काँग्रेस के विरोध के स्वर बंद करना चाहती है या वास्तव में बीजेपी अब भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड के नारे की तरफ बढ़ रही है, यदि ऐसा है तो बीजेपी प्रदेश में मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी के सीबीआई घोटाले की जांच सीबीआई से घोटाले की जांच कराने की मांग को स्वीकार क्यों नहीं कर लेती?
मित्रता सेवा और सुरक्षा उत्तराखंड पुलिस का यह स्लोगन . इसी स्लोगन के सहारे उत्तराखंड की पुलिस पर जिम्मेदारी है कि उत्तराखंड में कानून व्यवस्था सुधारे और लोगों के बीच यह विश्वास और भरोसा जताए कि समाज मे किसी तरीके से कोई भी गड़बड़ी नहीं होगी और सब लोगों को उनका अधिकार मिलेगा, लेकिन अब इसी पुलिस पर एक दाग लग चुका है और वो दाग ये है कि उसके 20 सब इंस्पेक्टर फिलहाल सस्पेंड कर दिये गए हैं और इन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी तरीके से अथवा नकल कर भर्ती परीक्षा पास कि है और उसके बाद ये यह दरोगा बने हैं एसआई बने हैं अब जब इन 20 सब इंस्पेक्टर को हटाया गया है सवाल ये कि आखिर ये गड़बड़ी 7 साल बाद ही क्यो उजागर हुई है
जिन सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया गया है उनकी भर्ती 2015 -16 की है तब उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी और हरीश रावत मुख्यमंत्री थे यानी हरीश रावत की सरकार पर अवैध तरीके से भर्ती मामले मे बीजेपी को भी अब हमलावर होने का मौका मिल गया है अब उस दरमियान भर्ती के दौरान किस तरह से गड़बड़ियां हुई थी और सब इंस्पेक्टर अगर संस्कृत सस्पेंड किए गए हैं तो क्या सिर्फ यही फर्जी भर्ती हुई थी या फिर इनके अलावा और भी कई लोग हैं जो उस भर्ती परीक्षा में गलत तरीके से शामिल हुए या उन्होंने नकल की या गलत तरीके का इस्तेमाल करते हुए पास हुए , यह सवाल अभी बरकरार है। लेकिन सवाल सिर्फ पुलिस भर्ती का नहीं है सवाल उत्तराखंड में हर भर्ती प्रक्रिया का है इसलिए सवाल कांग्रेस भी उठा रही है और सीबीआई कि जांच कि मांग कर रही है
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सरकारी नौकरियों को लेकर या उनकी भर्ती प्रक्रिया को लेकर उत्तराखंड की सियासत इन दिनों वैसे ही गर्म है और अब यह पुलिस भर्ती में गड़बड़ी का मामला जब सामने आया है, अब उस जांच के आधार पर ही जिन लोगों पर शक है उन्हें सस्पेंड किया गया है । लेकिन क्योंकि मामला रोजगार का है , मामला नौजवानों के भविष्य का है तो यह 20 लोग तब कैसे भर्ती हो गए? आखिर किस की मिलीभगत से यह हुआ यह सवाल को लेकर बीजेपी भी कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने का परसा करेगी और दौरान भर्ती आयोग की चेयरपर्सन भी शक के दायरे में खड़े होंगे। अब पूरी राजनीति बात पर है उत्तराखंड में किस सरकार का दामन ज्यादा साफ है, किस के दामन पर ज्यादा दाग हैं इसी मसले पर राजनीतिक हलचल बढ़ गई है और पुलिस जांच वाला मामला भी अब आ गया है इसमें आगे की जांच कहां तक पहुंचेगी, इंतजार इसी बात का भी करना चाहिए