उत्तराखंड देव भूमि के लोग कूड़े की बदबू सूंघने के लिए क्यो मजबूर है ? अब तो तीर्थ यात्रियो का भी स्वागत इसी बदबू से किया जा रहा है । जबकि इसके लिए जिम्मेदार विभाग इस जरूरी काम के अलावा अन्य सभी काम पूरी तत्परता से कर रहा है
गंगोत्री यमुनोत्री और बद्री केदार उत्तराखंड के चार धाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों को सुविधा देने का दम भरने वाले प्रदेश में देश-विदेश से आने वाले यात्रियों और पर्यटकों का नगर के प्रवेश द्वार पर ही कूड़े की बदबू से स्वागत किया जा रहा है गंगोत्री और यमुनोत्री के बेस कैंप उत्तरकाशी के प्रवेश द्वार पर लगा हुआ कूड़े का ढेर इस बात की गवाही दे रहा है की गंगा किनारे शहर के प्रवेश द्वार पर गंगोत्री हाईवे से लगे हुए इस कूड़े के ढेर पर न तो एनजीटी की और न पर्यावरण प्रेमियों की नजर पड़ी और कई मामले पर स्वत: संज्ञान लेने वाले वाले न्यायालय भी इस पर चुप्पी साधे बैठे हैं
कूड़े की समस्या को लेकर नगरपालिका के अक्सर यह बयान सामने आते हैं कि लोग कूड़ा निस्तारण के लिए चयनित स्थान पर कूड़ा डालने का विरोध करते हैं और कई जगह पर विरोध के चलते कूड़ा निस्तारण नहीं हो पा रहा है लेकिन क्या यह पूरा सच है?
दरअसल नगर पालिका का मुख्य काम ही कूड़ा निस्तारण और सफाई व्यवस्था करना है जबकि हकीकत में पालिका सफाई के इस मुख्य काम को छोड़कर सभी अन्य काम करने में बेहद दिलचस्पी ले रही है अभी तक जहां-जहां भी कूड़ा डंप हुआ है वहां कूड़ा का निस्तारण आज तक नहीं हो पाया और इन स्थानों पर लगे हुए कूड़े के ढेर और बदबू इस बात के लिए मजबूर करती है कि लोग आबादी वाले इलाकों के पास कूड़ा डंप का विरोध करें और यह उनका अधिकार भी है और मानवीय दृष्टिकोण भी
भले ही पालिका लाख दावे करें कि वह कूड़ा निस्तारण कर रहे हैं कूड़ा डंप नहीं कर रहे हैं लेकिन हकीकत यही है कि पालिका सिर्फ कूड़ा डंप करती है निस्तारण नहीं
उत्तरकाशी लम्बगांव केदारनाथ बाईपास पर तिलोथ पावर हाउस के पास पालिका द्वारा कूड़ा डंप किया जा रहा है जहां पर पहले प्लास्टिक की बोतलें और सॉलिड वैस्ट इस बात की गवाही दे रही हैं कि पालिका सिर्फ कूड़ा डंप कर रही है निस्तारण नहीं
तो फिर लोग क्यों ना विरोध करें
आज तक जहां जहां कूड़ा पड़ा वहां निस्तारण हुआ ही नहीं — कूड़े के ढेर बढ़ते गए — बदबू फैलती गई –मक्खियों से बीमारियां शुरू हुई और जिसका अंत विरोध को लेकर शुरू हुआ
स्थानीय लोगों का आरोप है की पालिका ने कूड़ा एकत्र करने के लिए वाहन तो महंगे महंगे खरीद लिए उसमें सूखा और गीला कूड़ा के लिए अलग-अलग के बॉक्स भी बनाएं लेकिन न तो घर से ही अलग-अलग कूड़ा छंटा गया और ना सफाई कर्मियों ने ऐसा किया
जबकि हकीकत यह है कि कूड़े से यदि प्लास्टिक और सॉलि़ड वेस्ट निकाल दिया जाए तो बाकी बचा हुआ कूड़ा आसानी से खाद बन जाता है जबकि यही प्लास्टिक कूड़े में मौजूद रहने से न तो कूड़ा निस्तारण हो पाता है और ना ही वातावरण शुद्ध रहता है
उत्तरकाशी में नगर पालिका के आने वाले चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए महिला सीट रिजर्व होने की चर्चाओं के बीच कूड़ा निस्तारण को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं दिखाई दे रही है
तो क्या फिर नए चुनाव
नई घोषणाएं और नए अध्यक्ष के आने तक यूं ही बदबू से नगर वासियों और तीर्थ यात्रियों का स्वागत होता रहेगा
एक बड़ा सवाल है जिसे आपको भी सोचना है जीमेदार नागरिक है तो वोट देने से पहले भी और वोट देने के बाद भी सतर्क रहिए सुरक्शित रहिए