केदारनाथ पर एक और फौजी का प्रयोग

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विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के पैदल ट्रैक पर घोड़ा खच्चरों  की वर्षों से जमा लीद  से अब तीर्थ यात्रियों को छुटकारा मिलेगा साथ ही मंदाकिनी नदी भी प्रदूषण मुक्त हो सकेगी

एक पूर्व सैनिक ने इसके लिए एक अनूठी पहल शुरू की है

उत्तराखंड के चार धामो  में प्रमुख केदारनाथ के पैदल ट्रैक पर पैदल यात्रा के साथ-साथ घोड़ा खच्चर भी सवारी के रूप में उपयोग होते हैं इनसे जहां असहाय और बुजुर्ग यात्रियों को सहूलियत मिलती है वही घोड़े खच्चरो की लीद से रास्ते में गंदगी तो होती ही  है , फिसलन का ही खतरा बढ़ जाता है और  मंदाकिनी नदी में प्रदूषण की भी संभावना रहती  है। यात्रा मार्ग पर  बरसों से पैदल ट्रेक और घोडा पड़ाव के आसपास पहाड़ी ढाल  पर यह लीद   जमा है पिछले 9 सालों से केदारनाथ पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले सेवानिवृत्त सूबेदार मनोज सेमवाल इस लीद  को एकत्र कर इससे  ईट कोयला और गमले बनाने की तैयारी में हैं जिससे  आने वाले समय में रोजगार के अवसर तैयार होंगे अब तक 28 दिन में करीब 12 00 टन लीद एकत्र की जा चुकी है इसके लिए उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट टीम गठित की है

केदारनाथ पैदल मार्ग समेत सोनप्रयाग और गौरीकुंड में लगभग 8000 घोड़ा खच्चर है एक अनुमान के मुताबिक यहा 8000 घोड़ा खच्चर 1 दिन में करीब 60 टन लीद करते हैं जिससे पैदल मार्ग के साथ-साथ सोनप्रयाग और गौरीकुंड में गंदगी का अंबार लग जाता है वर्षा होने पर यही लीद बहकर  मंदाकिनी नदी में मिल जाती है जो जल प्रदूषण का काम करती है इस बार यात्रा शुरू होने के साथ नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से जुड़े सेवानिवृत्त सूबेदार मनोज सेमवाल ने  वेस्ट मैनेजमेंट टीम गठित कर इस लीद  का सदुपयोग करने की योजना बनाई है

टीम ने जो लीद एकत्र की है उसे आबादी से दूर डंप किया जा रहा है साथ ही  घोड़ा पड़ाव  और केदारनाथ पैदल मार्ग को साफ सुथरा रखने के लिए घोड़ा खच्चर स्वामी को जागरूक भी किया जा रहा है

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