पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाने के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम

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अनुलोम-विलोम एक महत्वपूर्ण प्राणायाम है, अनुलोम-विलोम को ‘नाड़ी शोधक प्राणायाम’ भी कहा जाता है। योगाचार्या रुचिता उपाध्याय बताती हैं कि प्राणायाम का अभ्यास करते समय एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जिस गति से श्वास शरीर के भीतर भरती है उसी गति से शरीर से श्वास बाहर निकले। एक साफ जगह चुनें और वहां एक योगा मैट या एक साफ चादर रखें। अनुलोम-विलोम की शुरुआत हमेशा धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते हुए करनी चाहिए। जब इस प्राणायाम का अभ्यास आसान हो जाता है, तो इसकी गति को थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ाना पड़ता है। अनुमोल का मतलब सीधा और विलोम का मतलब उल्टा होता है। अनुलोम माने दाहिनी नासिका और विलोम यानि बायीं नासिका। अनुलोम-विलोम प्राणायाम में व्यक्ति दायीं नासिका छिद्र से सांस लेता है और बायीं नासिका से सांस छोड़ता है। इसी प्रकार यदि हम बायें नासिका छिद्र से श्वास लेते हैं, तो हम दायें नासिका छिद्र से श्वास छोड़ते हैं।


अभ्यास करने के लिए अपनी आंखें बंद कर, कमर और रीढ़ को सीधा रखें और हाथों को घुटनों पर रखें यानि किसी भी सुखासन, पद्मासन या ध्यान की मुद्रा आदि में बैठें।

शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें, और एक बार गहरा श्वास प्रश्वास करें। अब नासिका के दाहिने छिद्र को बंद करें और बाईं ओर से लंबी सांस लें, फिर बाएं को बंद करके दाएं से लंबी सांस छोड़ें। अब दाएं से लंबी सांस लें और बायीं ओर से छोड़ें। यानी दाएं-दया के इस क्रम को बाएं-बाएं रखें, इस प्रक्रिया को 10-15 मिनट तक दोहराएं। विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान में अलग अलग नासिका छिद्रों से श्वास का अभ्यास करने से तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है (शार्ली टेलिस 1994) अनुलोम विलोम प्राणायाम पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। (ए एन सिन्हा, 2013)

रुचिता उपाध्याय आगे बताती हैं कि नियमित अनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास फेफड़े और हृदय को शक्तिशाली बनाता है और तनाव व चिंता पर कम करता है। ये प्राणायाम शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम जोड़ों के दर्द, गठिया, सर्दी-जुकाम की जटिलताओं से काफी हद तक बचा जा सकता है। ये शरीर में किसी प्रकार की ग्रंथि या गांठ को समाप्त करने में भी सहायक होता है। प्रतिदिन 15 मिनट अनुलोम- विलोम अभ्यास करने से रक्त शुद्ध होता है और रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।

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