तैला (जखोली) में बहुउद्देशीय शिविर: 100+ समस्याएँ सुनीं, अधिकांश का मौके पर समाधान
रुद्रप्रयाग | तैला (जखोली) —
सुबह का वक्त, स्कूल का मैदान और आमने-सामने बैठा प्रशासन… राजकीय इंटर कॉलेज तैला आज सिर्फ एक विद्यालय नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ और शासन के समाधान का केंद्र बन गया। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर चल रहे अभियान “जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार” के तहत आयोजित बहुउद्देशीय शिविर में दूरस्थ गांवों की समस्याओं का त्वरित निस्तारण हुआ—वह भी मौके पर।

🧭 DM प्रतीक जैन का स्पष्ट संदेश
जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने शिविर की अध्यक्षता करते हुए कहा—
“हर पात्र व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुँचाना जिला प्रशासन की प्राथमिकता है।”
उनका फोकस साफ था—समाधान, पारदर्शिता और समयबद्ध कार्रवाई।
🏫 विद्यालय निरीक्षण से शुरुआत, बच्चों से सीधा संवाद
डीएम ने शिविर से पहले राजकीय इंटर कॉलेज तैला का निरीक्षण किया।
- विद्यार्थियों से सीधा संवाद
- वर्चुअल क्लासरूम, पेयजल, शौचालयों की जांच
- मिड-डे मील खुद खाकर गुणवत्ता का आकलन
लैब निर्माण के लिए एस्टीमेट देने के निर्देश भी मौके पर जारी हुए। इसके बाद ग्रामीणों ने पुष्पगुच्छ और माल्यार्पण कर स्वागत किया—गांव और प्रशासन की दूरी जैसे सिमट गई।
🏥🌾 एक छत के नीचे 15+ विभाग—योजनाएँ सीधे हाथों में
शिविर में उद्यान, कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य, उद्योग, समाज कल्याण, पंचायती राज, स्वास्थ्य (आयुष्मान), राजस्व, आजीविका मिशन सहित कई विभागों के स्टॉल लगे।
पात्र लाभार्थियों को मौके पर ही लाभ मिला—काग़ज़ी दौड़ से राहत।
🗣️ जनसुनवाई: 100 से ज्यादा समस्याएँ, तुरंत एक्शन
ग्रामीणों ने 100+ समस्याएँ रखीं—
- आध्यात्मिक पर्यटन: मंदिरों के प्रचार की मांग → पर्यटन विभाग को निर्देश
- मसाणपानी जलस्रोत तक क्षतिग्रस्त मार्ग → बीडीओ को तत्काल निरीक्षण
- पेयजल संकट → एसडीएम को त्वरित समाधान
- शिक्षकों की कमी → सीईओ को शीघ्र तैनाती
- अर्जुन बैंड–कुरछोला सड़क → जल्द कार्य शुरू करने का आश्वासन
- टाट पंचायत भवन मरम्मत → डीपीआर तैयार करने के निर्देश
- जंगली जानवरों का खतरा → वन विभाग को झाड़ी कटान के आदेश
- आधार कार्ड → हर गांव में कैंप
- लंबित सड़क मुआवजा → पीडब्ल्यूडी को समयबद्ध निस्तारण
अधिकांश समस्याएँ मौके पर हल—बाकी पर समयसीमा तय।
⏳ 45 दिन, लगातार शिविर—हर गांव तक सरकार
डीएम प्रतीक जैन ने ऐलान किया—
“अगले 45 दिनों तक ऐसे उद्देश्यपरक शिविर लगातार चलेंगे—ताकि प्रशासन खुद जनता के द्वार पहुँचे।”
🔔 अंतिम पंक्तियाँ
जब सरकार गाँव आती है, तब भरोसा लौटता है।
तैला के शिविर ने साबित किया—समाधान फाइलों में नहीं, मैदान में मिलता है।
यही है जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार।
