चमोली : कुम्भ की तर्ज पर 12 साल बाद होती है घंटाकर्ण भगवान की देवरा यात्रा

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धार्मिक नगरी हरिद्वार मे आयोजित कुम्भ की तर्ज पर बद्रीनाथ धाम के प्रहरी के रूप मे पूजे जाने वाले भगवान घंटकर्ण की देवरा यात्रा भी हर 12 साल मे सम्पन्न  होती है | आस्था के इस मेले मे भक्त बीहड़ और बर्फ से ढकी पहाड़ियो पर नंगे पैर चलकर यात्रा पूरी करते है | बद्रीनाथ धाम से 9 किमी दूर हिमालयी  क्षेत्र मे बसुधारा के पवित्र जल मे   भगवान घंटकर्ण के स्नान के स्था देव पश्वा भी स्नान करते है |

मोसम पर कैसे पड़ी आस्था भारी जी हाँ ये तस्वीर आप देख रहे है वो भगवान घण्टाकर्ण देवरा यात्रा की है,

 पाण्डुकेश्वर गांव के ग्रामीण भारी बर्फ के बीच भगवान घण्टाकर्ण की देवरा यात्रा में बदरीनाथ धाम से 9 किलोमीटर आगे उच्च हिमालयी क्षेत्र वसुधारा दिव्य देव स्नान और देवरा पूजा के लिए जा रहे है | इस भारी बर्फ में भगवान घण्टाकर्ण के भक्त नंगे पांव में ही चल रहे है, यह बर्फ पहाड़ी नुमा ढाल है, यहाँ पर थोड़ी सी चूक पाव फिसला नही की सीधे की गहरी खाई में गिर सकते है| ये भगवान की आस्था का ही चमत्कार है कि भारी दिक्कतों के बाद इन भक्तो के चेहरे शिकन  तक नही है भगवान की  इस यात्रा में 50 से अधिक श्रदालु मौजूद है, जो भगवान बदरी विशाल और घण्टाकर्ण के  जयकारे के साथ 5 दिनों से आगे बढ़ते जा रहे है|  सभी दुश्वारियां भूल भगवान के भक्ति में लीन है, भगवान भगवान घण्टाकर्ण देव की  हर 12 साल में कुंभ की तर्ज पर यह यात्रा होती है, और भगवान घंटाकर्ण अपने आराध्य भगवान बद्रीनाथ और अपने भाई घंटाकर्ण से मिलने जाते है, यात्रा के दौरान भगवान घण्टाकर्ण बद्रीनाथ धाम में स्थित सभी तीर्थों में जाते है, और सब जगह विशेष धार्मिंक आयोजन होता है,

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