चमोली : सूखे कंठो से अमर शहीद मेले पर पीने के पानी की मांग करते शहीदों के परिजन

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देवभूमि उत्तराखंड में  वीरो  और शहीदों के नाम से जाना जाने वाला देवाल विकासखण्ड के दूरस्थ गांव सवाड़ पेयजल की  किल्लत झेल रहा है | शरहद पर सेवा करते करते अपने प्राणों की  आहुति देने वाले गाव में लोगो के कंठ सूखे है |  वीरो के इस गाव में वर वर्ष 7 दिसंबर को अमर शहीद मेला आयोजित होता है अब तक राज्य निर्माण के बाद चार बार सूबे के मुख्मंत्री इस मेले में शिरकत कर चुके है| वर्ष 2017  में CM कि घोषणा के बाद भी पेयजल किल्लत दूर करने के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई | जिला पंचायत सदस्य आशा धपोला ने बताया कि हर घर में नल तो जरुर लग गए है पर इन नालो में जल कहा से मिलेगा यह अभी तक तय नहीं है | ग्रामीणों ने अपसा के तीन चार गावो को जोड़कर पेयजल योजना का प्रस्ताव दिया था जिसमे 22 किमी दूर श्रोत से पानी कि आपूर्ति होनी थी पर कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतर सकी |

गिरीश चंदोला थराली चमोली

देवाल विकासखण्ड के दूरस्थ गांव सवाड़ में गर्मियां आते ही पेयजल संकट गहराने लगता है ऐसे में ग्रामीणों को बमुश्किल ही एक घण्टा ही पीने योग्य पानी मिल पाता है इस एक घंटे में भी पानी उतनी मात्रा में नही मिल पाता जितना कि ग्रामीणों की आवश्यकता होती है| इसका कारण है गांव की वृहद क्षेत्रफल और बड़ी आबादी ,लगभग 11 तोकों में बंटे इस गांव की आबादी 3000 के आसपास है ऐसे में सीमित समय मे मिलने वाला ये पानी यहां रहने वाले परिवारों को पर्याप्त मात्रा में नही मिल पाता है ,ग्रामीणों के मुताबिक पेयजल लाइन जिस स्रोत से जुड़ा है वहां अक्सर गर्मियों में पानी की कमी आ जाती है जिसके चलते लंबे समय से पेयजल संकट बरकारर है ऐसे में गर्मियों के सीजन में बून्द बून्द को तरसते ग्रामीणों को लंबी दूरी तय कर प्राकृतिक स्रोतों से पीने योग्य पानी लाने के लिए जाना पड़ता है।

यूँ तो सवाड़ गांव का इतिहास हर किसी के मन मे देशभक्ति का जज्बा भरने वाला रहा है क्योंकि इस वीर भूमि में जन्मे वीरों ने प्रथम विश्व युद्ध से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक देश की आजादी तो लड़ी ही ,वहीं वर्तमान में भी तकरीबन हर एक परिवार से एक व्यक्ति सैनिक बनकर देशसेवा में लगे हैं आजादी के इन्ही वीरो की स्मृति में हर वर्ष 7 दिसम्बर को यहां अमर शहीद मेला लगता है 4 बार सूबे के मुख्यमंत्री स्वयं मेले में शिरकत करने यहां पहुंच चुके हैं 2017 में भी सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत स्वयं यहां पहुंचे और ग्रामीणों की पेयजल किल्लत का संज्ञान लेते हुए पेयजल योजना लाने के निर्देश भी पेयजल निगम को दिए

इस योजना को धरातल पर  अमलीजामा पहनाने के लिए पेयजल विभाग ने दो बार सर्वे भी कर ली लेकिन अब 4 साल बीत जाने के बाद भी बात सर्वे से आगे नही बढ़ सकी पेयजल विभाग के कर्मियों ने इस गांव में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए घेस गांव के समीप गेरुघना में स्रोत ढूंढा है इस स्रोत से जुड़ने के बाद सवाड़ के आसपास के भी लगभग 4 गांवो के कुछ तोको को भी पेयजल की समस्या से निजात मिलने की संभावना है लेकिन अब पेयजल विभाग के अधिकारी जल जीवन मिशन से ही घर घर जल घर नल पहुंचाने की बात कहते हैं पेयजल विभाग के अधिकारी कहते हैं कि जल जीवन मिशन योजना आने के बाद से पेयजल से जुड़ी सभी घोषणाओ को वापस कर दिया गया है लेकिन समझने वाली बात ये है कि सवाड़ में पेयजल के पुराने सूखते स्रोत के विकल्प की तलाश में जब इस योजना पर दो बार सर्वे हो चुकी है ओर जल जीवन मिशन योजना में अभी केवल घर घर नल ही लगे हैं इन नलों में जल कब आएगा इस पर अभी भी संशय इसलिए बरकार है क्योंकि सवाड़ जैसे ही अन्य अधिकांश गांवो में पेयजल लाइन पहले से ही बिछी हुई है,समस्या है तो बस सूखते स्रोतों को सुधारने या नए स्रोत तलाशने की ऐसे में सवाड़ गांव को कब पेयजल की इस समस्या से निजात मिल पाएगी ये पेयजल विभाग के साथ साथ जनप्रतिनिधियों के लिए भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है

आशा धपोला जिला पंचायत सदस्य
आलम सिंह बिष्ट स्थानीय

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