चमोली : मुरकुली और सखियों ने 15 साल से बच्चो की तरह देखभाल कर तैयार किया घास चारा पत्ती का हरा भरा वन, मेरु रेबार

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जाेशीमठ की जैवविविधता से भरी कल्प घाटी उर्गम से बडी खबर
संजय कुँवर उर्गम घाटी,
विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर जहां 5 जून को पूरे देश में वन एंवम पर्यावरण संरक्षण अभियान की धूम रही, सोसल मीडिया पर भी लोगो का पर्यावरण प्रेम खूब छलका फोटो खींचने के बाद वन प्रेमी अगले वर्ष तक के लिए लापता दिखे वही तस्वीर का दूसरा पहलू भी है , सूबे के आखरी छोर पर बसे चमोली जिले के सीमांत कस्बे जोशीमठ की जैव विविधता से भरी कल्प घाटी उर्गम की एक महिला नें चिपकाे नेत्री स्व०गाैरा देवी की राह पर चलते हुए उर्गम घाटी का नाम रोशन किया है |

भेंटा छेत्र की गौरा देवी के नाम से मशहूर पर्यावरण प्रेमी महिला मुरकुली पंवार और उनकी सखियों ने मिलकर 15साल की कडी मेहनत और लगन से आज खुद के और गांव हेतु घास चारा पत्ती की व्यवस्था जुटाने के लिये वर्षाै की मेहनत से एक हरा भरा वनीकरण तैयार कर मिसाल कायम की है,आप देख सकते कि कैसे गाँव कि महिलाये पेड़ लगाने के साथ पेड़ों को बचाने का संदेश लोक गीतों के जरिये देकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे है,ये भी बता दें की मुरकुली देवी प्रति दिन इन जंगलो की देख भाल करती है

एक दिन के लिए नही,जाे उन लाेगाे के लिये नजीर पेश हाेगी जाे महज एक दिन के लिये पर्यावरण बचाने का साेशल मीडिया पर ढिंडाेरा पीटते है,बताते चले कि वर्षाें पहले इस बंजर ताेक पर सघन पाैधराेपण कर उनकी देखभाल अपनें बच्चाें की तरह इस महिला ने की है, जाे आज यहां हरा भरा हरियाली वाला जंगल सबके काम आ रहा है,इस जंगल में आज हरी पत्ती चारा दार पेडाें के अलावा छाया दार पेड़ है,जाे आज गांव की आबाे हवा से लेकर पर्यावरण संन्तुलन बनाये है,और गांव की हर जरूरत पूरी कर रहे है,

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