टूरिस्ट विलेज ‘सारी’ – उत्तराखंड में ग्रामीण पर्यटन की नई पहचान
रुद्रप्रयाग:
रुद्रप्रयाग जनपद का एक छोटा सा गांव ‘सारी’ आज ग्रामीण पर्यटन और स्वरोजगार का चमकता हुआ सितारा बन चुका है। तुंगनाथ और चोपता जैसे प्रसिद्ध ट्रैकिंग मार्गों पर स्थित यह गांव अब ‘टूरिस्ट विलेज’ के नाम से अपनी एक अलग पहचान बना चुका है।
करीब 50 होम स्टे और 250 से अधिक रोजगार देने वाला यह गांव, उत्तराखंड के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। यहां हर साल हजारों सैलानी पहुंचते हैं और पहाड़ी जीवनशैली, संस्कृति और आतिथ्य का अनुभव करते हैं।

🌄 शुरुआत जिसने बदल दी तस्वीर
साल 1999 में माउंटेन गाइड मुरली सिंह नेगी ने अपने पुराने घर को दुरुस्त कर पहले होम स्टे की नींव रखी। आज यह एक सशक्त स्वरोजगार मॉडल बन चुका है, जिसमें 41 होम स्टे पर्यटन विभाग से पंजीकृत हैं और कई अन्य राज्य सरकार की दीनदयाल उपाध्याय पर्यटन होमस्टे योजना और ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर स्कीम के तहत संचालित हो रहे हैं।
🏡 होम स्टे का जादू
यहां के होम स्टे केवल ठहरने की जगह नहीं, बल्कि स्थानीय जीवनशैली, भोजन और संस्कृति का अनुभव भी हैं। पर्यटक यहां पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद चखते हैं, लोक संस्कृति से जुड़ते हैं और खुद को प्रकृति के करीब पाते हैं।
स्थानीय निवासी जी.एस. भट्ट के अनुसार, पिछले साल करीब 7000 पर्यटक यहां ठहरे। गांव में पलायन लगभग ना के बराबर है, और सारी गांव आज भी जीवंत और आत्मनिर्भर बना हुआ है।

🏞️ प्राकृतिक सौंदर्य और ट्रैकिंग रूट
- तुंगनाथ ट्रैक (30 किमी): भगवान शिव को समर्पित दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर तक पहुंचने वाला मार्ग।
- चोपता ट्रैक (25 किमी): बुरांश के फूलों से सजी घाटी तक जाने वाला अद्भुत सफर।
- देवरिया ताल ट्रैक (3 किमी): मनमोहक झील तक की लघु लेकिन रोमांचक ट्रैकिंग।
⭐ मुख्यमंत्री का भरोसा
दिसंबर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं सारी गांव पहुंचे और एक होम स्टे में रात्रि विश्राम किया। उन्होंने गांव के पर्यटन मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि,
“यह मॉडल पूरे राज्य के लिए एक प्रेरणा है।”
मुख्यमंत्री ने स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेते हुए ग्रामवासियों के साथ भोजन भी किया।
📊 सफलता के आंकड़े
- 191 परिवार निवासरत
- 1200 से अधिक जनसंख्या
- 50 से अधिक होम स्टे
- 250 लोगों को मिला रोजगार
✅ सरकारी योजनाओं का सहारा, ग्रामीणों की तरक्की
सरकार द्वारा चलाई जा रही होम स्टे योजनाओं ने ग्रामीणों के लिए आत्मनिर्भर बनने का रास्ता खोला है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अब होम स्टे का व्यवसाय तेजी से फल-फूल रहा है, जिससे न सिर्फ रोजगार बढ़ा है, बल्कि पहाड़ों में जीवन लौट रहा है।
🔚 निष्कर्ष:
सारी गांव आज सिर्फ एक पर्यटक स्थल नहीं, बल्कि एक आशा की किरण बन चुका है। यहां का हर घर, हर मुस्कान और हर होम स्टे, एक नई उत्तराखंडी कहानी कहता है – आत्मनिर्भरता, संस्कृति और स्वागत की।
🖋️ रिपोर्ट – Meru Raibar News
📍 स्थान – सारी गांव, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
