पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पंजाब प्रभारी के पद से छुट्टी

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देहरादून। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत को पार्टी ने पंजाब प्रभारी के पद से हटा दिया है। उनकी जगह हरीश चौधरी को कांग्रेस ने पंजाब और चडीगढ़ का नया प्रभारी बनाया है। हरीश रावत कई दिनों से पंजाब के प्रभाव से मुक्ति चाह रहे थे। उनका तर्क था कि उत्तराखंड में चुनाव है। उनका फोकस उत्तराखंड पर होना चाहिए। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी पद से मुक्त होने के बाद हरीश रावत ने लिखा कि पंजाब के दोस्तों विशेषत कांग्रेसजन, मैं आपके प्यार और समर्थन को नहीं भूल सकता। मैं आपसे अलग नहीं हूं। पार्टी के प्रति कर्तव्य की पुकार है कि मैं एक स्थान विशेषत उत्तराखंड में पूरी शक्ति लगाऊं। मेरे दिल में हमेशा पंजाब रहेगा। यूं भी मेरे दिल में एक पंजाब स्थाई रूप से बसता है, जहां से प्रतिदिन पंजाबियत की खुशबू मेरे मन को आनंदित करती है

दिवाली आ रही है, गुरु पर्व आ रहा है, आप सबको ढेर सारी बधाइयां। इस बीच उत्तराखंड में आपदा भी आ गई। इस दौरान एक बार फिर हरीश रावत ने इच्छा जताई थी कि उन्हें पंजाब के प्रभार से मुक्त किया जाए। वो उत्तराखंड में आई आपदा के प्रभावितों की मदद करना चाहते हैं। इस बार उनकी इच्छा के दूसरे ही दिन कांग्रेस ने पंजाब से उनकी छुट्टी कर दी है। अब हरीश रावत उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लेकर पूरा फोकस कर सकते हैं।


हरीश रावत ने दो दिन पहले फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि- पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में दोनों जगहों पर उन्हें पूरा समय देना होगा। ऐसे में उनके लिए परिस्थितियां कठिन होती जा रही हैं। एक तरफ जन्मभूमि के लिए मेरा कर्तव्य है और दूसरी तरफ कर्म भूमि पंजाब के लिए मेरी सेवाएं हैं, स्थितियां जटिलत्तर होती जा रही हैं। उन्होंने कहा, जैसे जैसे चुनाव आएंगे, दोनों जगह व्यक्ति को पूर्ण समय देना पड़ेगा।


रावत ने कहा, कल उत्तराखंड में बेमौसम बारिश ने जो कहर ढाया है, मैं कुछ स्थानों पर जा पाया लेकिन आंसू पोछने मैं सब जगह जाना चाहता था। मगर कर्तव्य पुकार, मुझसे कुछ और अपेक्षाएं लेकर के खड़ी हुई है। मैं जन्मभूमि के साथ न्याय करूं, तभी कर्मभूमि के साथ भी न्याय कर पाऊंगा।
उन्होंने कहा मैं पंजाब कांग्रेस और पंजाब के लोगों का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे निरंतर आशीर्वाद और नैतिक समर्थन दिया। संतों, गुरुओं की भूमि, नानक देव जी व गुरु गोविंद सिंह जी की भूमि से मेरा गहरा भावात्मक लगाव है। मैंने निश्चय किया है कि लीडरशिप से प्रार्थना करूं कि अगले कुछ महीने मैं उत्तराखंड को पूर्ण रूप से समर्पित रह सकूं। इसलिए पंजाब में जो मेरा वर्तमान दायित्व है, उस दायित्व से मुझे मुक्त कर दिया जाए। शुक्रवार को कांग्रेस हाईकमान ने उनकी ये मांग मान ली और उन्हें पंजाब प्रभारी के पद से हट दिया। गौरतलब है कि पंजाब कांग्रेस में मची उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है। पिछले हफ्ते ही नवजोत सिंह सिद्धू ने सोनिया गांधी को लिखा पत्र सार्वजनिक कर दिया था। पत्र को अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर कर उन्होंने यह इशारा किया था कि जिन मुद्दों को वह लंबे समय से उठाते आ रहे हैं, उन्हें निपटाने के लिए चन्नी सरकार द्वारा उठाए गए कदम से वह संतुष्ट नहीं हैं। वहीं इस मामले पर मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि सभी मामलों का निपटारा किया जाएगा।
हरीश रावत ने पंजाब के विवाद को सुलझाने की बहुत कोशिश की थी। लेकिन वो इसमें सफल नहीं रहे। साढ़े चार साल से पंजाब में कांग्रेस की सरकार चला रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था। सिद्धू कैप्टन के पीछे हाथ धोकर पड़े थे। हरीश रावत ने कई बार पंजाब जाकर मामले को सुलझाने की कोशिश की थी। एक बार तो पंजाब के सिद्धू समर्थक विधायक देहरादून ही आ धमके थे। हरीश रावत हर बार मामला सुलझा लेने का दावा करते थे। आखिर अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देना ही पड़ा था। चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद भी पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझा नहीं है। सिद्धू आए दिन कोई ने कोई बखेड़ा खड़ा कर रहे हैं। उधर कैप्टन अमरिंदर ने नई पार्टी बनाने की घोषणा करके कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

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