वनाग्नि रोकने को कारगर कदम उठाये जायें व प्रभावशाली कार्ययोजना बनाएं

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नैनीताल । प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत ने 15 फरवरी से 15 जून 2021 तक वनाग्नि काल 2021 के सन्दर्भ में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों तथा प्रभागीय वनाधिकारियों को वीडियो क्राफेंसिंग के जरिये आवश्यक दिशा निर्देश दिये है। उन्होने कहा कि वन प्रदेश की अमूल्य सम्पदा है इसके साथ ही वनों मे रहने वाले वन्यजीव भी हमारी धरोहर है। उन्होंने कहा कि फरवरी माह से वनाग्नि काल शुरू होने जा रहा हैै। वनोें को तथा वन्यजीवों को आग से बचाने तथा जनधन की हानि को रोकने के लिए अभी से कारगर कदम उठाये जायें तथा प्रभावशाली कार्य योजना बनाकर अभी से अमल शुरू कर दिया जाए। उन्होने कहा कि हमारे प्रदेश का अधिकांश क्षेत्रफल वनों से आच्छादित है तथा वन हमारे राजस्व का आधार है। प्राणदायक  वायु तथा नदियो का स्रोत भी हमारे वन है। उन्होने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों मे वन विभाग कन्ट्रोल रूम क्रियाशील करे तथा मास्टर कन्ट्रोल रूम भी बनाये जांए। उन्होने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों व अन्य स्थानो पर कू्र-स्टेशन भी सक्रिय किये जांए। वनाग्नि रोकने के लिए सभी जिलाधिकारी तथा वन विभाग के अधिकारी जनसहयोग से इस दिशा मे कार्य करें तथा जनजागरूकता के लिए अभी से ही विशेष अभियान संचालित किये जांए।
 जिलाधिकारी धीराज सिह गर्ब्याल  ने  जानकारी देते हुये बताया कि नैनीताल वन प्रभाग के विभिन्न आरक्षित वन क्षेत्रों हेतु वन अग्नि नियंत्रण एवं प्रबन्धन हेतु रणनीति तैयार कर ली गई है। जनपद का कुल 61698.83 हेक्टेयर वन क्षेत्र आच्छादित है। जिसमे 8 रेंज, 66 वन ब्लाक, 960 कम्पार्टमेंन्ट, 2 रेल हैड लीसा डिपो तथा वन सुरक्षा दल विद्वमान है। जिनके अन्तर्गत 69 कू्र-स्टेशन,12 रेंज स्पे्र-कन्ट्रोल रूम तथा 1 प्रभाग स्तरीय मास्टर कन्ट्रोल रूम बनाया गया है। उन्होने बताया कि जनपद के विभिन्न वन प्रभागों के अन्तर्गत विगत वर्षो के वनाग्नि घटना के तहत आपसी रंजिस के तहत आग लगाई गई, शहद निकालने, खेतो-खलिहानोें की सफाई के लिए, वन्य जन्तुओ के शिकार के लिए, घास की नई पैदावार के लिए, वनों पर अतिक्रमण की नियत से तथा जलती बीडी, सिगरेट व माचिस फैकने से वनो मे आग लगी। उन्होने बताया कि इससे स्पष्ट होता है कि अधिकतर वनाग्नि की दुर्घटनाये लोगों के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष लापरवाही के कारण आग लगती हैै। ऐसे में वनों को अग्नि से बचान के लिए जनसमूह को जागरूक करने तथा वन अग्नि शमन हेतु लोगो का सहयोग लिया जायेगा तथा उन्हे जागरूक भी किया जायेगा।
श्री गर्ब्याल  ने बताया कि नैनीताल जनपद के 70.157 प्रतिशत भूभाग में विभिन्न प्रकार के वन क्षेत्र मौजूद है। इन वन क्षेत्रो की अपनी महत्ता एवं आकर्षण है। किन्तु पर्यटन गतिविधियो को बढोत्तरी होने के कारण नैनीताल तथा अन्य सम्पर्क मार्गो की विशेष महत्ता हो गई है। नैनीताल के इन सम्पर्क मार्गो के दोनो ओर अधिकांश चीड के वन स्थित है। चीड वनो की अपनी विशेषता के कारण मई जून मे इनकी पत्तियां (पिरूल) के गिरने का क्रम जारी रहता है तथा रास्ते पिरूल से भर जाते है। उन्होने कहा कि पिरूल की ब्रिकी के लिए लालकुआं स्थित सेन्चुरी पेपर मिल से वन विभाग का अनुबन्ध होने जा रहा है।

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