रातों रात बढ़ रहे अतिक्रमण – वरुणावत के बाद अब जोशीमठ आपदा दोहरनने की तैयारी ?- उत्तरकाशी

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अनियंत्रित विकास की मार झेल रहे उत्तराखंड के पहाड़ी कस्बों में वरुणावत  और जोशीमठ आपदा के बाद भी सरकारें सबक लेने के मूड में दिखाई नहीं दे रही है , यही वजह है कि रातों-रात अतिक्रमण कारी पहाड़ियों को खोदकर नई दुनिया बसाने में जुटे      हुए हैं । उत्तरकाशी में ज्ञानसू से लेकर वरुणावत  तलहटी के गुफियारा और इंदिरा कॉलोनी में रातों-रात नए अतिक्रमण तैयार हो रहे हैं और प्रशासन की टीम जानकारी के बावजूद भी हाथ पर हाथ रखे बैठी हुई है।

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अपने घर का दैनिक चौका चूल्हा काम छोड़कर यह घरेलू महिलाएं जिला कलेक्ट्रेट में एसडीएम से मिलने आई है . इनकी समस्या यह है कि उनके गृह क्षेत्र ज्ञानसू में बाहरी लोगों द्वारा जमीन पर अवैध रूप से अतिक्रमण किया जा रहा है । ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि अतिक्रमण की जाने वाली जगह मूल रूप से उनकी गोचर जमीन का हिस्सा है,  जिस पर एक के बाद एक अवैध अतिक्रमण का सिलसिला जारी है ।

बहरहाल एसडीएम तो ऑफिस में मिले नहीं लिहाजा यह महिलाएं नगर पालिका अध्यक्ष से मिलने उनके कार्यालय में पहुंची  हैं।  बताते चलें कि नगरपालिका बड़ा हाट उत्तरकाशी क्षेत्र अंतर्गत ज्ञानसू वार्ड नंबर 10 में यह अतिक्रमण धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा है । ग्रामीण महिलाओं ने बकायदा इसका सर्वे कर वीडियो रिकॉर्डिंग की,  जिसके बाद संबंधित विभाग को शिकायत भी की , लेकिन मौके पर कोई अधिकारी मौजूद नहीं मिला,

हालांकि पालिका सभासद ने स्वीकार किया कि इस स्थान पर अतिक्रमण हो रहा है। अब देखना यह है की कब तक पालिका प्रशासन और राजस्व विभाग की टीम अवैध अतिक्रमण पर कार्यवाही करती है ।

बताते चलें कि वरुनावत  की तलहटी में इंदिरा कॉलोनी की बात हो ज्ञानसू की बात हो अथवा गुफियारा की रातों-रात अतिक्रमणकारियों ने पहाड़ी को खोदकर शहर के लिए भविष्य के लिए खतरा पैदा कर लिया है । राजस्व विभाग की टीम मौके पर जाकर कई बार अतिक्रमण को तोड़ती भी है लेकिन रातों-रात फिर से अतिक्रमण वापस दोबारा तैयार हो जाता है तो क्या अतिक्रमण पर प्रशासनिक चुप्पी ही इसका इलाज है? क्या पालिका भी वोट का गणित समझते हुए कोई कार्यवाही नहीं करेगी?  क्या उत्तरकाशी वरुणावत  की तलहटी एक बार फिर किसी त्रासदी का इंतजार कर रही है क्या राज्य सरकार है वर्णावत त्रासदी के बाद जोशीमठ जैसी बड़ी आपदा को दोहराने के मूड में है अगर नहीं तो अतिक्रमण रोकने के लिए प्रशासन के पास कौन सा प्लान है?

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