हिन्दुओ मे जन्म से लेकर मरण तक सभी 16 संस्कारो मे गौ के बिना पुजा अधूरी मानी जाती है । लेकिन क्या आज परिभाषा बादल गई है । क्या वजह है कि दरवाजे पर रहने वाला कुत्ता तो घर के अंदर प्रवेश कर गया है और घर के अंदर से गाय माता सड़क पर आवारा घूमने को मजबूर हो गई है
प्रदेश मे पशु क्रूरता और गौ संरक्षण अधिनियम प्रभावी होने के बाद भी गौ माता आवारा नाम से पुकारी जा रही है और सड़कों पर यहा वहाँ पिटती दिखाई देती है । जबकि हकीकत ये है की गौ आवारा नहीं है उसे तो छोड़ा गया है गाय जब तक दूध देती है तब तक उसे घर पर रखा जाता है आर धूध नहीं देने पर सड़क पर छोड़ दिया जाता है । आवारा होते ही ये गौ वंश किसानो की खेती का रुख करते है और उसमे उगी फसल को चट कर जाते है ।
तो क्या गौ रक्षा करने की सरकारी स्कीम क्या किसानों पर भारी पड़ रही है । एक तरफ गोवंश संरक्षण अधिनियम गौ वंश के संरक्षण की बात करता है वही पशुपालन से कतरा रहे किसान गौ को सड़क पर छोड़ दे रहे हैं । परेशान किसान इन्हें लठिया कर एक तरफ भेज देते हैं तो दूसरी तरफ के किसान भी वापस इसी दिशा में भगा देते हैं ऐसे में इस बेजुबान को समझ नहीं आ रहा है कि वह जाए तो जाए कहां और इस सब में उसकी गलती क्या है।
उत्तरकाशी जिले के ढूंढा कस्बे में इस तरह के नजारे अक्सर देखने को मिल जाते हैं जब किसानों का एक कुनबा इन गायों को एक दिशा में भेजता है जबकि दूसरी दिशा के किसान इन्हें वापस पहले दिशा में भेज देते हैं डूँड़ा सलाणा खोला गांव की महिलाएं आवारा पशुओं से खेती फसल को होने वाले नुकसान से परेशान होकर कभी वीडीओ तो कभी एसडीएम के चक्कर काट रही हैं जिन्होंने जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत सदस्य को खेती की जमीन पर चारदीवारी करने के लिए भी प्रस्ताव देने की मांग की है अथवा आवारा पशुओं से खेती को बचाने के लिए अपने स्तर से कार्यवाही करने की मांग की है ।
इन सबके बीच अधिकारी इसकी टोपी उसके सर पहनाने तक ही सीमित हैं प्रदेश मे गोवंश संरक्षण अधिनियम होने के बावजूद भी गांव की हालत देखने लायक है और इसे कोई समझने वाला नहीं है। पशुपालन मंत्री कहते है कि गौ पालन के लिए मिलने वाली धनराशि को बढ़ा दिया गया है अगर ऐसा है तो इसका असर धरातल पर दिखाई क्यो नहीं दे रहा है एक तरफ गौ को माँ कहने और दूसरी तरफ उसे लठियाने के क्या मायने हो सकते है