तीरथ कैबिनट की पहली बैठकः गठित जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों को किया गया स्थगित

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देहरादून। तीरथ कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि कोरोना महामारी के दौरान नियमों के उल्लंघन के संबंध में दर्ज सभी केस को वापस लिया जाएगा।  नए गठित जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों को स्थगित कर दिया गया है। इन प्राधिकरणों में तत्काल प्रभाव से नक्शा पास कराने पर रोक लगाते हुए, पूर्व की स्थिति बहाल कर दी गई है। त्रिवेंद्र सरकार के समय ही 2017 में नौ नए जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों का गठन हुआ था।शुक्रवार शाम को मंत्रीमंडल गठन के तत्काल बाद बीजापुर गेस्ट हाउस में तीरथ मंत्रीपरिषद की पहली बैठक हुई। जिसमें नवगठित जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों को स्थगित करने के साथ ही, कोरोना लॉकडाउन के दौरान आपदा प्रबंधन एक्ट और महामारी एक्ट के तहत दर्ज मुकदमें वापस लेने पर सहमति बनी।

मीडिया से बातचीत में मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने इन फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि विकास प्राधिकरणों पर 016 की स्थिति बहाल कर दी गई है। इसके साथ ही नए गठित विकास प्राधिकरणों में नक्शा पास करने पर रोक लगा दी गई है। 2016 से पहले के गठित विकास प्राधिकरण पहले की तरह काम करते रहेंगे। इसके साथ ही पूरे प्रकरण की समीक्षा के लिए कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत की अध्यक्षता में उप समिति का गठन किया गया है। जिसमें कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय और सुबोध उनियाल को शामिल किया गया है। तीरथ सरकार ने लॉकडाउन की अवधि में आपदा प्रबंधन एक्ट और महामारी एक्ट के तहत दर्ज सभी मुकदमें वापस लेने का निर्णय लिया है। इन मुकदमों की संख्या करीब 4800 है। मुख्य सचिव ने बताया कि इस दौरान प्रवासियों सहित कई लोगों पर लॉकडाउन उल्लंघन के मुकदमें दर्ज हुए थे। उन्होंने बताया कि इस बीच कुछ लोगों के मुकदमें वापस भी हो रहे थे, लेकिन अब सरकार ने एक सामान्य निर्णय लेते हुए ऐसे सभी मुकदमों को वापस लेने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि इसमें राजनैतिक गतिविधियों के चलते इन दोनों धाराओं में दर्ज मुकदमें शामिल होंगे।

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