उत्तरकाशी- केदारनाथ बायपास रोड पर तिलोथ के पास भागीरथी पर बने हुए पुल का एक हिस्सा दैवी आपदा में दो बार बह जाने के बाद सरकार ने यहाँ इस पुल की नींव को जैकेटिंग करते हुए एक और पाया बनाकर इस स्थान पर स्पान बढ़ा दिया ताकि वर्षा के जल और बाढ़ में भी पर्याय स्थान नदी को बहने के लिए मिल सके और नगर सुरक्षित रहे, किन्तु इस पुल का निर्माण ठेकेदार की मर्जी से होता है विभागीय अधिकारी इसके सामने जुबान खोलने से डरते है डीएम ने भी एक बार मौके पर जाकर कमी पाई तो लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर को चेतवानी जारी की किन्तु ठकेदार की कार्य प्रणाली में कोई फर्क नही पड़ा। विभाग और डीएम द समय पर कार्य पूर्ण करने के निर्देश देते रहे पर हुआ वही जो तय था, मानसून सुरु होते ही नदी का जल स्तर बढ़ गया और निर्माण कार्य जो पहले ही सुस्त था पूरी तरह ठप्प हो गया।
सत्ता और विपक्ष का मिलाप -संघर्ष के लिए मोर्चा
ठेकेदार की हुड़की से सहम जाता है लोक निर्माण विभाग।
डीएम के निर्देश भी ठेंगे पर।
सीमेंट न मिलने का बहाना -रोक दिया निर्माण।
गिरीश गैरोला
सीमांत जनपद उत्तरकाशी में सत्ता और विपक्ष के आपसी मेल मिलाप के बाद तीसरे फ्रंट से संघर्ष मोर्चे में सुगबुगाहट सुरु होने लगी है। केदारनाथ को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण तिलोथ पुल पर मिलीभगत और सूचना अधिकार से मिली जानकारी से आने वाले समय मे राजनैतिक तापमान बढ़ने की पूरी आशंका है। मोर्चे ने बैठक कर आगामी रणनीति पर मंथन सुरु कर दिया है।
तिलोथ गाँव के प्राधन सरदार गुलरेज सिंह ने नाराजी जताते हुए इस पुल को शीघ तैयार करने के लिए डीएम को पत्र लिखा है।उन्होंने बताया कि केदारनाथ बायपास मार्ग के साथ स्कूल आने जाने के साथ दर्जनों गाव को जोड़ने वाले पुल पर इस तरह राजनैतिक चुप्पी उचित नही है।
लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता वीरेन्द्र पुंडीर ने बताया कि ठेकेदार का सीमेंट एन वक्त पर समाप्त हो गया था और उसे कही सीमेंट नही मिला जिस कारण कार्य मे देरी हुई और जब जल स्तर बढ़ने से नींव में पानी आ गया है, इसलिए पानी कम होने तक इन्तज़ार करना मजबूरी बन गयी है। इस पुल को नवंबर 2018 में पूर्ण होने था।
बड़ा सवाल ये कि नदी में तो पानी बढेगा ही इस पर काम करने वाले ठेकेदार के पास इस तरह के कार्य का अनुभव नही है या इसकी हुड़की से विभाग की हवा लीक होने लगती है।