“पशुधन से भविष्य तक: नई टिहरी में गूंजा स्वरोजगार और समर्पण का संकल्प!”

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पशुपालन योजनाओं पर बनी रणनीति, गौ-सेवा और गोट-वैली से जुड़े नए अवसर — विभागीय बैठक में हुआ बड़ा ऐलान


शुरुआती हुक :

नई टिहरी की शांत पहाड़ियों के बीच गुरुवार देर शाम विकास भवन सभागार में कुछ अलग ही हलचल थी। पशुपालन विभाग की बड़ी बैठक में जब अधिकारियों ने योजनाओं का खाका खोला, तो लगा जैसे गांव-गांव की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिलने वाली है। “हर घर पशुधन, हर हाथ रोजगार” की थीम पर हुई इस बैठक में सपना था — आत्मनिर्भर किसान, सशक्त पशुपालक और खुशहाल उत्तराखंड।


🔍 बैठक में क्या हुआ? — तथ्य छोटे, असर बड़े:

  • बैठक की अध्यक्षता की डॉ. बी.एस. जंगपांगी, अपर निदेशक, गढ़वाल मंडल
  • मुख्य विकास अधिकारी वरुणा अग्रवाल ने योजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा:

“हर पशुपालक तक पहुंचे योजना का लाभ, तभी बनेगा समृद्ध गांव।”

  • राज्य पशुधन मिशन, गौशाला प्रगति, गोट वैली और ब्रॉयलर फार्म योजनाओं पर गहन चर्चा
  • मानसून आपदा से पहले ही चारे, दवाइयों और देखभाल की पुख्ता तैयारी के निर्देश

🐄 गोट-वैली योजना बनी उम्मीद की किरण:

गोट-वैली योजना को और विस्तार देने की बात पर ज़ोर दिया गया —

“यह सिर्फ योजना नहीं, गांवों में आत्मनिर्भरता की रीढ़ बनेगी,”
कहा गया बैठक में।

यह योजना विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के लिए स्वरोजगार का प्लेटफॉर्म बन रही है। बकरी पालन से लेकर दूध उत्पादन तक, हर कदम पर है सरकारी मदद।


💬 स्थानीयता से जुड़ी भावनाएं:

डॉ. डी.के. शर्मा ने कहा,

हमारी कोशिश है कि चंबा से लेकर प्रतापनगर तक, हर पशुपालक को वैज्ञानिक देखरेख और योजना की जानकारी समय पर मिले।”


🌾 एक नई दिशा की ओर टिहरी:

  • जिलाधिकारी के स्तर से दिशा-निर्देश
  • पशुपालकों के साथ सीधा संवाद की तैयारी
  • ग्राम्य गौ सेवक सदन योजना को भी सक्रिय रूप देने की पहल

🧠 सोचने वाली बात:

जब सरकार और समाज मिलकर पशुधन की बात करते हैं, तो सिर्फ दूध, चारा या भेड़-बकरी की चर्चा नहीं होती —
यह बात होती है आत्मनिर्भर भारत की, स्वावलंबी उत्तराखंड की।


🔚 अंतिम पंक्ति — सोच को झकझोरने वाली:

पशुधन की रक्षा, रोजगार की गारंटी — नई टिहरी से निकला यह संदेश अब हर गांव तक पहुंचना चाहिए। क्यूंकि खेत से खलिहान तक, असली क्रांति वहीं होती है जहां जानवरों की पीठ पर उम्मीद की गठरी लदी होती है।


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