हर साल 6 महीने पानी के लिए तरसते है मनेरा के ग्रामीण।
डीएम के निर्देश पर संस्थान का दो टूक जबाब- बजट मिलने पर होगा स्थायी समाधान।
बिना बजट के कैसा जनता दरबार?
गिरीश गैरोला।
पहाड़ का पानी और जवानी दोनों पहाड़ के काम नही आती है ये कहावत उत्तरकाशी जनपद में भी चरितार्थ हो रही है जहाँ गंगा के मायके में ही लोगो के हलक सूखे है।जनपद मुख्यालय से लगे मनेरा तोक में पिछले 6 महीनों से पीने के पानी के लिए लोग तरस गए है। ग्राम प्रधान
दिलसौड विजय सिंह के नेतृत्व में महिलाएं फरवरी महीने में भी जल संस्थान के अधिकारियों से मिली और कोई राहत न मिलने पर डीएम से भी मिलकर अपनी आप बीती सुनाई । उस वक्त 24 मार्च को डीएम आशीष चौहान ने जल संस्थान से वार्ता के बाद समस्या के निराकरण का भरोसा दिलाया था, पर हुआ कुछ नही। शनिवार 7 जुलाई को एक बार फिर महिलाएं ग्राम प्राधन को साथ लेकर कलेक्ट्रेट में आ धमकी। ग्रामीण महिला जसोदा देवी और अत्तरा देवी ने बताया कि लोगो को पीने के पानी के साथ पशुओ के भी पानी ढोना पड़ रहा है जिसमे पूरा दिन बर्बाद हो रहा है। गंगा पास में बह रही है और लोग मजबूर प्यासे है।
जल संस्थान के अधिशाषी अभियंता बलदेव डोगरा ने बताया कि मनेरा तोक में वर्ष 1975 की बनी हुई एक इंच की पुरानी पेयजल योजना है जिसमे अब करीब 200 परिवार इससे पानी ले रहे है। श्रोत में पानी कम हो गया है महोने भरोसा जताया कि वर्षा सुरु होने के बाद श्रोत रिचार्ज हो जाएंगे तो पानी की किल्लत नही होगी। मनेरा के पास छोटा 750 केएल का टैंक है। इस वर्ष की जिला योजना में बजट मिलने के बाद स्थायी समाधान संभव होगा। तब तक पिछले वर्षों की तरह फरवरी से जून तक लोगो को यू ही भटकना पड़ेगा।