देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार पर हमला बोला है। दसौनी ने कहा कि धामी कैबिनेट की पहली बैठक में एक ही झटके में करीब तीन हजार अतिथि शिक्षकों को तो तोहफा दिया मगर साथ ही करीब तीन हजार स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की राह ही बंद कर डाली। सीधे सपाट कहें तो भाजपा की धामी सरकार स्थाई शिक्षकों के पदों पर कैंची चलाकर झूठी वाहवाही लूट कर रही है। दसौनी ने कहा कि कैविनेट ने अतिथि शिक्षकों का मानदेय 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रतिमाह करने का फैसला लिया है इसमें अभी भी संशय बना हुआ है कि आखिर यह बढ़ा हुआ मानदेय किस् मद से दिया जाएगा ,क्योंकि बजट आवंटन तो पहले ही हो चुका है। दसौनी ने कहा कि एक तरफ तो सरकार द्वारा विभिन्न सरकरी विभागों में लगभग 22340 हजार खाली पदों और अनुसूचित जाति और जनजाति के वैकलॉग के रिक्तियों सहित सभी खाली पदों पर भर्ती करने का फैसला लिया गया है।दसौनी ने बताया कि सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में रविवार रात हुई प्रदेश कैविनेट की बैठक में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए कैविनेट मंत्री व शासकीय प्रवक्ता सुवोध उनियाल ने 7 फैसलों और छह संकल्पों की जानकारी दी। सुवोध उनियाल ने बताया कि मौजूदा समय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर गृह जनपदों पर नियुक्ति दी जाएगी तथा इनके पदों को रिक्त नहीं समझा जायेगा।दसौनी ने कहा कि शाश्कीय प्रवक्ता के इस बयान का सीधा अर्थ है कि अतिथि शिक्षकों को महज यह फायदा होगा कि उनके सिर से स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति होने पर नौकरी जाने का खतरा नहीं मंडराएगा। हालांकि वे अस्थायी ही रहेंगे। दसौनी ने राज्य सरकार पर इल्जाम लगाया की एक तरफ तो राज्य सरकार रोजगार सृजन की बड़ी बड़ी बातें कर रही है वहीं दूसरी ओर ठेका प्रथा को बढ़ावा दे रही है।दसौनी ने कहा जिस तरह से प्रदेश के 3000 स्थाई शिक्षकों के पदों पर सरकार ने कैंची चलायी है। वह अपने आप में निंदनीय है सभी राज्य बढ़-चढ़कर अपने प्रदेशों में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति का प्रयास कर रहे हैं और वही उत्तराखंड सरकार शिक्षकों के पदों को निगलने का काम कर रही है ऐसे में रसातल की ओर जा रही शिक्षा व्यवस्था कैसे सुदृढ़ होगी अपने आप में बड़ा प्रश्न है।