कोरोना काल में घोड़ा और चालक दोनों दाना-पानी के मोहताज

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हरिद्वार। शहरों की सड़कों पर शानदार गाड़ियां, ई-रिक्शा और ऑटो जैसे वाहनों का दौड़ना आम बात है, लेकिन जब तेज रफ्तार गाड़ियों के इस दौर में शहरों की सड़कों पर टक-टक की आवाज के साथ घोड़ा गाड़ी तांगा चलता है तो ये हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है। हरिद्वार में अब भी पारंपरिक सवारी घोड़ा तांगे को चलते हुए देखा जा सकता है।
वहीं, अब ये सवारी धीरे-धीरे आधुनिक दौर में गायब होने लगी है। इसका कारण महंगाई और मंदी की मार है। एक समय था जब हरिद्वार रेलवे स्टेशन के बाहर लंबा चैड़ा तांगा स्टैंड हुआ करता था। जिसमें करीब डेढ़ सौ तांगे खड़े होते थे, लेकिन जैसे-जैसे ऑटो रिक्शा और उसके बाद ई-रिक्शा कि बाजार में आमद बढ़ी आम यात्रियों ने तांगों से दूरी बना ली। यही कारण है कि अब इस तांगा स्टैंड पर बमुश्किल 7-8 तांगे ही दिखाई देते हैं। अब हरिद्वार में कुछ खास राज्यों से अस्थि विसर्जन करने के लिए पहुंचने वाले चुनिंदा लोग ही तांगे की सवारी करते हैं। ऐसे में तांगा चलाने वाले लोगों के लिए गुजर बसर करना मुश्किल हो रहा है। बदलते समय के साथ तकनीक के साथ साथ जरूरतें भी बदल जाती हैं। एक समय में जिस तांगे की सवारी को शाही सवारी माना जाता था। आज आधुनिक वाहनों के सामने वह शाही सवारी तकरीबन खत्म हो चुकी है।

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