उत्तराखंड मे सरकार बनाने के लिए राजनैतिक पंडित भी गंगोत्री की सीट पर विजय को जरूरी मानते है | विजय इस बार भी काँग्रेस के टिकट पर गंगोत्री से फिर किस्मत आजमा रहे है , जबकि गोपाल सिटिंग विधायक है | गंगोत्री के सरकार बनाने के मिथक के साथ यहा हिमाचल पैटर्न का रुझान मतदाता अब तक देते आए है – जिसमे बारी बारी बीजेपी और काँग्रेस को सत्ता की चाबी सौंपने का कम किया जाता रहा है | पहाड़ी प्रदेश की जनता विकल्प हीनता की स्थिति मे नाराज होकर एक बार हराती है और दूसरी बार जीत का सेहरा पहना देती है | इस बार मोदी की आँधी को देखकर जहा खुद बीजेपी के बड़े नेता भी अंतिम समय तक अपने टिकट की गारंटी देने मे हिचकिचा रहे है वही काँग्रेस के चेहरे पर पर जीत को लेकर आत्मविश्वास की कमी देखी जा रही है हालांकि इस के लिए कॉंग्रेस के दावेदार एक एक गल्तियो की समीक्षा कर रहे है बीजेपी के बूथ अभियान की तर्ज पर काँग्रेस का भी बूथ अभियान चल पड़ा है |
इस बार गंगोत्री क्या कह रही है नयी पीढ़ी के मतदाता क्या पुराने रुख पर कायम रहेंगे या कोई नयी परिभाषा लिखेंगे ये देखना महत्वपूर्ण होगा | राजनीति के जानकार मानते है की इस बार गंगोत्री से पाल बंधुओ की अंतिम जीत होगी और जीत सिर्फ एक की होगी ये तय है , लिहाजा अगली पीढ़ी के नेता भी 2027 के लिए अभी से सीढ़ी तलाश करने लगे है कुछ सॉफ्ट कंधे ढूंढ रहे है | टिकट के लिए सभी कार्यकर्ता दावेदारी कर सकते है इसी फॉर्मूले पर गंगोत्री से बीजेपी के नेता और जीएमवीएन के निदेशक लोकेन्द्र बिष्ट भी दावेदारी कर रहे है | सुवा खोली सड़क निर्माण के बाद राजधानी की घटी हुई दूरी – हर्षिल को इननेर लाइन से बाहर करने और उत्तरकाशी के बचे हुए हिस्से को ओबीसी मे सामिल करने समेत अपने किए अन्य कामो के बदले आला कमान से टिकट की मांग कर रहे है साथ ही टिहरी और उत्तरकाशी के बीच एक मेडिकल कॉलेज की स्थापाना को अपना सपना मानकर चल रहे है |
आइए सेधे बात करते है गंगोत्री से बीजेपी से टिकट के दावेदार लोकेन्द्र बिष्ट से ‘विडियो लिंक खोले ‘