कूड़े के ढेर पर भारत का भविष्
उधम सिंह नगर
क्या कूड़े के ढेर में ही बीत जाएगी मासूमों की जिंदगी
कूड़े के ढेर से निकलेगा सर्व शिक्षा अभियान
आखिर कहां लापता है बाल श्रम अधिकारी?
स्टॉप चाइल्ड लेबर का भले ही नारा दिया जाता हो, लेकिन हकीकत में पेट के खातिर गरीब बच्चो के लिए सरकार के ये नारे पूरी तरह से छलावा हैं, जबकि शहर की गंदगी के बीच कूड़ा बीनने वाले इन मासूमो का जीवन कूड़े के ढेर में ही मिल कर रह गया है और सरकारी योजनाएं धरातल पर कहाँ है? ये सवाल सरकार की योजनाओं पर प्रश्न चिन्ह लगता है।
काशीपुर क्षेत्र से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई है इसको देखने के बाद आप भी उन अधिकारियों के लिए सोचने को मजबूर हो जाएंगे जो नाबालिगों को काम करने से रोकने के लिए मोटा वेतन लेते है अपनी जिम्मेदारी को किस तरीके से निभाते हुए दिखाई दे रहे हैं। काशीपुर के नगर निगम द्वारा शहर गांव को स्वच्छ बनाने के लिए डोर टू डोर घरेलू कूड़ा-कचरा लेने के लिए वाहन चलाएं गए वाहन में एकत्र कूड़ा-कचरा मानपुर रोड पर खाली प्लॉट में एकत्र किया जाता है। और एकत्र कूड़ा आजकल कुछ पैसों के लालची लोगों की नजरों में बना हुआ है जहां लालची लोग कुछ नाबालिक बच्चों की ग़रीबी का फायदा उठाकर एकत्र हुए कूड़े-कचरे में नौनिहालोंं से 80 रुपए बोरे के हिसाब से लोहा प्लास्टिक एकत्र करा कर आगे बेचते हैं। नौनिहालों को बीमारिया देते है। तो खुद मालामाल होते हुए दिखाई दे रहे हैं।
नौनिहालों के शोषण की सूचना मिलते ही महिला बाल किशोर जनजागृति समिति की अध्यक्ष ज्योति अरोरा ने मौके पर पहुंच कर जिम्मेदार अधिकारियों श्रम विभाग और पुलिस को तत्काल सूचना दी। NGO अध्यक्ष ज्योति अरोरा ने बताया कि पुलिस सूचना के बाद मौके पर पहुंची तो जरूर लेकिन वहां से वापस खाली हाथ लौट गई बस आश्वासन दिया कि हम कार्यवाही करेंगे।
ज्योति अरोरा…….. एनजीओ अध्यक्ष