लंका जीतने वाले बंदर तो कोई और रहे होंगे , इन्होंने तो जीना मुश्किल कर दिया है।
जी हाँ ये बात आजकल पहाड़ो में आम हो गयी है। अमतौर पर इंसानों से दूरी बनाकर चलने वाले ये जानवर अब इंसान से आमने- सामने दो- दो हाथ करने को तैयार दिखने लगा है।
अपने भोजन की तलाश में बंदर अब पूरी तरह इंसानी बस्तियों पर निर्भर हो चुके है और भोजन की तंगी से कभी बंदरो का आपसी संघर्ष तो कभी इंसानों से झड़प की घटनाएं बढ़ने लगी है। बंदर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत उसके धार्मिक कारण को लेकर है। बंदर को हनुमान का रूप मानकर कोई इसे मारना नही चाहता और इसी बात का फायदा उठाते हुए बंदर आक्रमक हो गए है। जल्द इसका कोई समाधान नही ढूंढ़ा गया तो कई बड़े हादसे सामने आ सकते है।
जीआईसी डुंडा उत्तरकाशी में बंदर , छात्रों को सुबह की प्रेयर तक करने नही देते और बिन बुलाए मेहमान की तरह आ धमकते है ये बंदर।
हद तो तब हो गयी जब पानी पीने गए एक सातवी क्लास के छात्र युवराज पर बंदरो ने अटैक कर दिया । बच्चे को कई जगह से काटा गया है। जिसके कारण उसके शरीर मे 9 टांके लगाने पड़े और रैबीज का खतरा अलग से।
स्कूल की टीचर गीतांजलि जोशी ने ये जानकारी हमे भेजी है।
यह तस्वीर हमारे विद्यालय के छात्र युवराज कक्षा सात की है जिसको बंदरों ने काट लिया यहां पर बंदर इतने ज्यादा है कि बच्चे ढंग से प्रार्थना नहीं कर पाते हैं सुबह बंदर सीधे फील्ड में ही उतर आते हैं और यह बच्चा पानी पीने गया था जिस पर बंदरों का एक पूरा झुंड टूट पड़ा ।इसको बड़ी मुश्किल से बचाया और उसके पैरों में 8-9 टांके पड़े हुए हैं जगह-जगह से काट लिया ।भैया यहां मंकी कैचर की सख्त जरूरत है। कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा।