लोक कलाकार ने व्यवस्थाओं पर खूब सुनाई खरी खोटी।
लोक गायकों की मौत के लिए सरकारी तंत्र को बताया जिम्मेदार।
पिथौरागढ़ की राजनीति को बताया अक्खड़।
दीपक कुमार
उत्तराखंड के कुमाऊँ में पहाड़ की एक बड़ी लोक कलाकार के श्रंद्धाजली कार्यक्रम के दौरान एक महिला लोक गायिका ने सरकारी व्यवस्थाओं के खिलाफ मंच से जमकर भड़ास निकाली। कुमाऊँ में एक कार्यक्रम के दौरान मंच से राजनीति को लेकर उन्होंने खूब सवाल खड़े किए। पहाड़ की इस महान कलाकार को तीजन बाई से तुलना करने वाली सरकार से उन्होंने पूछा – तुलना जिस तीजन बाई से कर रही है उसे छत्तीसगढ़ सरकार ने पद्म श्री दिया, पद्म विभूषण दिया पर हमारी सरकार ने क्या दिया ? एक कलाकार को ठीक से इलाज भी नही मिल सका यदि मिला होता तो आज वो हमारे बीच होती। लोक कलाकारों को समान के नाम पर मिलने वाली शाल तो सर्दी रोकने में भी सक्षम नही है। उन्होंने साफ कहा कि अमीरों के बीमार होने पर हैलीकॉप्टर उड़ने लगते है पर बीमार कबूतरी देवी को हल्द्वानी अस्पताल भी समय पर पहुचा देते तो उनकी मौत नही होती, उन्होंने आरोप लगाया कि कबूतरी देवी मरी नही उन्हें मारा गया। पिथौरागढ़ के अस्पताल के स्टाफ पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वे सबके सब खुद को सीएम का सविव समझते है और जनता से सीधे मुह बात तक नही करते है।
लोक कलाकार मर -खप गए किन्तु संस्कृति विभाग ने अब तक भी उनका भुगतान नही करता है। लोक कलाकार पप्पू कार्की के डेढ़ लाख रु अभी भी संस्कृति विभाग नही दे सका जबकि विभाग।की अधिकारी उन्ही के इलाके कक रहने वाली है। क्या यही है लोक कलाकारों का सम्मान?