आपके संघर्षो की आवाज यहाँ

Share Now

नर्मदा बचाओ आंदोलन और जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय का वार्षिक युवा संवाद आज २० मई २०१९ को राजघाट, बड़वानी में नर्मदा नदी के किनारे शुरू हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत देवेंद्र भाई, जिनका हाल ही में निधन हो गया, और आशीष मंडलोई जिनकी आज पुण्यतिथि है, को याद करके हुआ। देवेंद्र भाई एक अनुभवी कार्यकर्ता थे, जिन्हें घाटी में बहुत सम्मान और प्यार दिया जाता था। परियोजना से सीधे प्रभावित नहीं होने के बावजूद, वह एक प्रमुख आयोजक थे और आंदोलन के लिए अपना जीवन समर्पित किया।

अंकित तिवारी

आशीष मंडलोई एक ऊर्जावान और निर्भीक कार्यकर्ता थे जिनके योगदान ने सरदार सरोवर परियोजना की पुनर्वास योजना में फ़र्ज़ी रेजिस्ट्रीयों के भ्रष्टाचार का खुलासा किया। 2010 में उनकी असामयिक मौत आंदोलन के लिए आघात के रूप में आई थी। देवेंद्र भाई और आशीष भाई को लोगों के हित के लिए RTI का उपयोग करने के लिए उपराष्ट्रपति का पुरस्कार जीता था। घाटी भर के परियोजना प्रभावित गाँवों के लोग इकट्ठे हुए और अपने सभी साथियों को याद किया, जिन्हें वे संघर्ष के वर्षों में खो चुके हैं।

मेधा पाटकर ने नर्मदा घाटी में युवा कार्यकर्ताओं का स्वागत किया और उन्हें तीन दिवसीय कार्यक्रम में उत्साह के साथ भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आशीष मंडलोई के योगदान के बारे में विस्तार से बात की और युवाओं से उनके जीवन से प्रेरणा लेने को कहा। उन्होंने अंडोलन के सभी कार्यकर्ताओं के बारे में बात की, जो दुर्भाग्य से साथ छोड़ गए और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने युवाओं को आंदोलनों और राष्ट्र निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाई।

हिमशी ने सम्मलेन के लिए दृष्टि प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि युवा संवाद का आयोजन किया गया था ताकि देश भर में संघर्ष करने वाले युवा एक-दूसरे से सीख सकें और नये दृष्टिकोण हासिल कर सकें। इस संवाद से यह आशा है कि इससे भारत के गाँवों और शहरों में विविध संघर्षों में काम करने वाले युवाओं का गठजोड़ होगा।

देश भर के युवक निम्न संगठनों और संस्थाओं से इकट्ठे हुए –

सेंचुरी मिल्स
आई.एल.एस. विधि महाविद्यालय, पुणे
जेनिथ विधिक सहायता केंद्र, शिवपुरी
शहरी मज़दूर संगठन
असंगठित मज़दूर संगठन, राजस्थान
एम.के.एस. एस, राजस्थान
जे.जे.एस.एस, बिहार
सी.एफ.ए., दिल्ली
हमसफर, लखनऊ
राष्ट्रीय विधी विश्वविद्यालय, ओड़िशा
जीवनशाला
प्रतिरोध का सिनेमा, गोरखपुर
आवाज़ संस्था
एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स
भारतीय विद्यापीठ, पुणे
नितिन राठौर
प्रोग्राम फ़ॉर सोशल एक्शन

कलादास देहरिया ने सांस्कृतिक प्रतिरोध की भूमिका और महत्व पर युवाओं से बात की। उन्होंने केवल औद्योगिक मनोरंजन पर भरोसा करने के बजाय लोगों को अभिव्यक्ति के अपने स्थानीय सांस्कृतिक तरीकों को पुनः प्राप्त करने पर जोर दिया।

युवाओं ने सरदार सरोवर परियोजना के परियोजना प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, प्रभावित लोगों से बातचीत की और आंदोलन के इतिहास को समझा।

शाम को, युवाओं ने फिल्मों को एक साथ देखा। लिंच नेशन, लिंचिंग पर एक फ़िल्म और नर्मदा बचाओ आंदोलन के संघर्ष पर एक और स्क्रीनिंग की गई।

आज से शुरू हुआ युवा संवाद 23 मई तक चलेगा। इसमें युवाओं के बीच बातचीत, भारत के आंदोलनों की समृद्ध विरासत और लैंगिक समानता एवं जातिवाद जैसे मुद्दों पर कार्यशालाएं होंगी।

error: Content is protected !!