देहारदून। सामाजिक-सांस्कृतिक स्तर पर लोक-कल्याण एवं मानवता की भलाई के लिए समर्पित संगठन, प्रभा खेतान फाउंडेशन ने एसडब्लूएआर के सहयोग से एक मुलाकात नामक अपनी पहल के जरिए कथक उस्ताद पं. बिरजू महाराज और उनकी शिष्या विदुषी सास्वती सेन के साथ बातचीत के एक वर्चुअल सेशन का आयोजन किया। उस्ताद की पोती एवं कथक नृत्यांगना, शिंजिनी कुलकर्णी द्वारा संचालित इस वर्चुअल सेशन के माध्यम से दर्शकों को पं. बिरजू महाराज के जीवन की रोमांचक यात्रा, उनकी कला एवं रचनाओं से अवगत कराया गया।
प्रभा खेतान फाउंडेशन प्रदर्शन कला, संस्कृति एवं साहित्य को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है, और भारत में सांस्कृतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक और सामाजिक कल्याण से संबंधित परियोजनाओं को अमल में लाने के लिए सहयोगकर्ताओं, इस कार्य में पूरी लगन से समर्पित व्यक्तियों तथा समान विचारधारा वाले संस्थानों के साथ मिलकर काम करता है। एक मुलाकात समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को एक मंच प्रदान करता है, जहां वे लोगों के साथ अपने जीवन की कहानियों को साझा करते हैं।
प्रभा खेतान फाउंडेशन की कम्युनिकेशन एंड ब्रांडिंग चीफ मनीषा जैन ने इस वर्चुअल सेशन के बारे में बताते हुए कहा, ष्प्रभा खेतान फाउंडेशन हमेशा से कला, संस्कृति एवं साहित्य का समर्थक रहा है। लॉकडाउन की वजह से हम सभी अपने-अपने घरों में ही रह रहे हैं, इसलिए हमने अपने वर्चुअल सेशन के माध्यम से पूरे देश की महानतम हस्तियों को एक-साथ लाने का प्रयास किया है, ताकि संकट की इस घड़ी में हमारे साथी देशवासियों को उनसे प्रेरणा मिल सके। हम आशा करते हैं कि, पं. बिरजू महाराज के जीवन एवं उनकी रचनाओं के बारे में जानकर हमारे सभी दर्शकों को प्रेरणा मिलेगी। सत्र चाहे वास्तविक हो या आभासी, प्रभा खेतान फाउंडेशन संस्कृति एवं ज्ञान को बढ़ावा देने में समुदायों को जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।” पं. बिरजू महाराज से हम सभी भली-भांति परिचित हैं। नृत्य की इस विधा की विरासत और परंपरा स्वयं ही उनका परिचय देती है। केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लोग इस महान विभूति की कला से अच्छी तरह परिचित हैं। कालिदास सम्मान, यश भारती और आंध्र रत्न जैसे कई अन्य पुरस्कारों के अलावा, इस ख्यातिप्राप्त नर्तक ने वर्ष 1984 में सबसे कम उम्र में नृत्य में पद्म विभूषण पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव हासिल किया।