टिहरी|
देवभूमि उत्तराखंड के कंकर कंकर में शंकर का वास माना गया है | भगवन शंकर के साथ माता सती आठवा पार्वती का नाम जुड़ा हुआ है | माँ शक्ति का प्रतीक है और मान्यता है कि बिना शक्ति के शिव भी शव से अधिक कुछ नहीं है | उत्तराखंड गढ़वाल के टिहरी जिले में माता के तीन शक्ति पीठ मौजूद है आज हम आपको चन्द्रवदनी माता के शक्ति पीठ से परिचित करवा रहे है |
मां सती के 52 शक्तिपीठों में से 51 भारत में है और 1 पाकिस्तान में…जिसमें से तीन शक्तिपीठ कुंजापुरी,सुरकंडा और चंद्रबदनी शक्तिपीठ टिहरी जिले में है…नवरात्र पर इन शक्तिपीठों का अलग महत्व है चंद्रबदनी शक्तिपीठ के दर्शन जिसे मां सती की तपस्थली भी कहा जाता है।
टिहरी जिले के देवप्रयाग के चंद्रकोट पर्वत पर स्थित है मां चंद्रबदनी शक्तिपीठ| सड़क से करीब 1 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद होते है मां चंद्रबदनी शक्तिपीठ के दर्शन जिसे मां आदिशक्ति की तपस्थली भी कहा जाता है| स्कन्द पुराण के अनुसार राजा दक्ष द्वारा जब प्रजापति बनने के बाद यज्ञ का आयोजन किया गया तो उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया| इससे आक्रोशित भगवान शिव की पत्नी सती ने दक्ष के यज्ञ में अपनी आहुति दे दी और जब भगवान शिव को पता चला तो वो क्रोध में वहां पहुंचे और सति के शरीर को उठाकर तांडव करने लगे और कंधे में सति के शरीर को लेकर चले गए जिसके बाद सति के शरीर के टुकड़े जहां जहां गिरे वो जगह शक्तिपीठ के रूप में जाने जानी लगी| इस तरह 52 जगहों पर सति के शरीर के टुकड़े गिरे और 52 शक्तिपीठ बने जिसमें से चंद्रबदनी शक्ति पीठ में मां सति के बदन का हिस्सा गिरा और तभी से इसे चंद्रकोट पर्वत पर होने के कारण चंद्रबदनी शक्तिपीठ माना जाने लगा।
मां चंद्रबदनी शक्तिपीठ की विशेष मान्यता है और आसपास के क्षेत्र की ये कुलदेवी भी है जिस कारण नवरात्र में यहां विशेष पूजा अर्चना के लिए लोग दूर दराज से पहुंचते है| हालांकि इस बार कोविड के चलते यहां श्रद्धालु कम आ रहे है लेकिन उसके बावजूद श्रद्धालु यहां पहुंच रहे है और अपनी मनोकामना पूरा करने के लिए मां चंद्रबदनी से प्रार्थना कर रहे है|
मंदिर समिति द्वारा भी इस बार कोविड की गाइड लाइन का पालन करने के लिए श्रद्धालुओं से अनुरोध किया जा रहा है वहीं दूर दराज से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का भी कहना है कि मां का बुलावा होता है तो वो खींचे चले आते है फिर चाहे जो भी दिक्कतें हो और वो मां से अपने परिवार की सुख शांति के साथ ही कोविड महामारी को खत्म करने की प्रार्थना कर रहे है।
मां सती के शक्तिपीठों में नवरात्र में पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है इस बार कोविड का असर भी शक्तिपीठों और मंदिरों में देखा जा रहा है लेकिन इसके बावजूद आस्था कोविड महामारी पर भारी पड़ रही है और श्रद्धालु मां के दर्शन कर कोविड महामारी से निजात दिलाने की भी प्रार्थना कर रहे है।