पीसीसी अध्यक्ष ने 10 सांसदों के निलम्बन को अलोकतांत्रिक बताया, निलम्बन की कड़ी निन्दा की

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देहरादून। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने राज्यसभा में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 10 सांसदों के निलम्बन को अलोकतांत्रिक बताते हुए सांसदों के निलम्बन की कडे शब्दों में निन्दा की है। राज्यसभा में सांसदों के निलम्बन पर बयान जारी करते हुए प्रीतम सिंह ने कहा कि अलोकतांत्रिक तरीके से विपक्षी दलों के 10 सांसदों के निलम्बन की कार्रवाई का उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस विरोध करते हुए इस कार्रवाई की घोर निन्दा करती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सभी मानकों एवं मापदण्डों पर कुठाराघात करते हुए अलोकतांत्रिकता का परिचय देते हुए राज्यसभा में विपक्षी दलों के उन सांसदों को, जो देश की जनता के हितों की रक्षा के लिए, उन्हें जनता ने जो कर्तव्य निर्वहन की जिम्मेदारी दी है, उसके अनुसार सरकार को चेताने का काम कर रहे थे, को संसद से निलम्बित कर दिया गया है। यह भाजपा के फासीवादी एवं तानाशाही चरित्र का द्योतक है, जिसे लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी दल सहन नहीं करेगा।
प्रीतम सिंह कहा कि कांग्रेस पार्टी की सदैव लोकतंत्र में गहरी आस्था रही है और लोकतांत्रिक तरीके से संसद की कार्रवाई में विष्वास रखती है और आज देश में लोकतंत्र के जितने भी स्तम्भ हैं, उनकी स्थापना में महात्मा गांधी से लेकर आज तक कांग्रेस पार्टी का एक लम्बा इतिहास रहा है। चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों से च्युत करना लोकतंत्र के प्रति अपराध है। असहमति के स्वरों को सुनना एवं स्वीकार करना स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है तथा भारतीय संसद लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा का सर्वोच्च मंच है। गरीब किसानों की आवाज उठाने पर राज्यसभा के उपसभापति द्वारा की गई यह कार्रवाई लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश नहीं है। चुने हुए सांसदों को संसद से बाहर करने की यह घटना लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में अंकित की जायेगी। उन्हांेंने कहा कि स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्परा में असहमति को भी सुनना पड़ता है और जनता से जुडे हुए मुद्दों पर अगर लोकतंत्र के सर्वोच्च मन्दिर में चर्चा नहीं की जायेगी तो वे बतायें कि वे किस सदन में चर्चा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सदन में गतिरोध बढाने के लिए भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल के सांसदों के साथ जिस प्रकार की कार्रवाई की है वह भाजपा के तानाशाही चेहरे को उजागर करती है। भारतीय जनता पार्टी के नेता विपक्ष के विचारों को सुनना नही चाहते हैं तथा विपक्ष की आवाज को हिटलरशाही रवैये से दबाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के राज्यसभा सांसदों का निलम्बन शीघ्र वापस लिया जाना चाहिए।

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