कोरोना काल में जब लोग घरो में बैठने को मजबूर हो गए है , रोजगार ठप्प हो गया है, ऐसे समय में सरकारी गोदामों से सडा हुआ खाद्यान्न आम लोगो को वितरित किया जा रहा है | सस्ते गल्ले की दुकान में पहुचने के बाद कोई भी इसे घर लेकर जाने को तैयार नहीं है | बताया जा रहा है कि गेंहू के साथ काला दाना मिक्स किया गया है और कई बार धोने के बाद भी इससे बदबू जाने का नाम नहीं ले रही है | पूर्ति विभाग के अधिकारी ने स्वीकार किया कि गोदाम ने नाली के गंदे पानी का रिसाव हो गया था उन्होंने कहा कि जो बोरिया ख़राब है उन्हें वापस लेकर नया और साफ़ गेंह दिया जायेगा| बड़ा सवाल ये कि कोरोना काल में जब संक्बारमण से बचने के लिए बार – बार हाथ धोने कि अपील कि जा रही है, ऐसे में सरकारी खाद्यान्न में नाली का गंदा पानी लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं है? दूसरी बात ये कि शिकायत होने पर अथवा मिडिया में खबर बनने के बाद ही विभाग हरकत में आयेगा ? क्या विभागीय अधिकारी रूटीन चेकिंग नहीं करते है ?
नदीम परवेज़
धारचूला
धारचूला खाद्यान्न विभाग द्वारा मार्च माह का जो राशन सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों को वितरित किया गया उन दुकानों में गेहूं बहुत गंदा , सडा एवं काले गेहूं अच्छे गेहूं में मिक्स करके दिए गए हैं खाद्यान्न विभाग धारचूला द्वारा कहीं न कहीं कुछ लापरवाही की गई है जिससे कि सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानदारों ने आपत्ति दर्ज की है एवं स्थानीय नागरिक का कहना है कि गेहूं खाने के लायक ही नहीं है। धोने के बाद भी गेहूं की बदबू खत्म नहीं हो रही है। इस तरह से खाद्यान्न विभाग कोरना के काल में लापरवाही कर रहा है। और प्रशासन के अधिकारी इसमें कुछ भी कहने से बच रहे हैं। इस तरह का गेहूं देना जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हे ।
खाद्यान्न विभाग के खाद्य निरीक्षक से पूछने पर उन्होंने माना है कि की नाली के पानी से कुछ रिसाव स्टोर में हो गया था जिससे हो सकता है कि कुछ बोरिया खराब हो गई हो जो बोरी खराब गई होंगी उन्होंने कहा है कि उनको दुकानदारों से वापस ले लेंगे और हमारे द्वारा साफ गेहूं देने की प्रक्रिया सदैव की जा रही है।
किशन सिंह कुमार खाद्य निरीक्षक धारचूला
रमेश राम स्थानीय नागरिक