धारचूला में दो दिवसीय शिवरात्रि मेला पुजा अर्चना के बाद शुरू ।
रिपोर्ट –नदीम परवेज़
धारचूला के पौराणिक शिव मन्दिर में सुबह से ही भक्तों की भीड जुटी रही । लगातार लोगो का आना जाना जारी है । धारचूला नेपाल से लगा हुआ सीमांत क्षेत्र हे । यह शिव मंदिर 1952 में निर्मित है | इस शिव मंदिर कि अपनी महत्ता है । स्थानीय लोगो के साथ साथ साथ पडोसी देश नेपाल से भी भक्त इस शिव मंदिर में दर्शनों को आते है| कैलाश मानसरोवर यात्रा जब होती है। तो उक्त शिव मंदिर में ही पुजा अर्चना कर यात्रा चीन – तिब्बत की तरफ निकलती है ।
आज शिवरात्रि महोत्सव में धारचूला मुनस्यारी के विधायक हरीश धामी मुख्य अतिथि के रूप में मंच में शामिल हुए धारचूला के रंग संस्कृति ,अनुवाल संस्कृती , नेपाली संस्कृति की झलक आज देखने को मिली| सभी के द्वारा अपनी क्षेत्र की पूजा अर्चना की पद्धति से शिवमन्दिर धारचूला में पुजा अर्चना कि गयी । रं समुदाय ओर अनुवाल समुदाय की यह परम्परा अनूठी है । अपने बाजे गाजे और पारंपरिक वेश भूषा – परिधान पहनकर अपने ईश्वर (शिव ) को पूजने शिव मंदिर धारचूला में आये रं समाज ने सफेद रंग के बांस के पेड़ पर धागे लपेटकर अपनी संस्कृति की धरोहर को उन्होंने शिव मंदिर धारचूला को अर्पित किया। लगातार सभी गांवो ने अपनी झांकियां निकली
नेपाल से भी दो झांकियां देखने लायक थी। झांकियों को शिव महोत्सव कमेटी के द्वारा सभी को पुरानी पद्धति में तांबे का बड़ा कलश प्रदान किया गया। व स्कूली बच्चों को तांबे के के छोटे कलश पुरस्कार में दिये गये ।
विधायक हरीश धामी ने शिव महोत्सव कमेटी धारचूला को ₹21000 का नगद पारितोषिक दिया और शिव मंदिर धारचूला का जिर्णोद्धार करने की बात कही