प्रयागराज, अंकित तिवारी
देश भर में कोरोना महामारी के बाद शवो की तादाद को देखकर शमसान घाट भी हैरान परेसान है | इतनी तादाद में कभी भी शव घाट पर नहीं पहचे | इस बार बार का covid कर्फ्यू पिछली बार से एकदम हटकर है इस बार पुलिस का वो डंडा कही नजर नहीं आ रहा है बल्कि खाकी आम लोगो के लिए मददगार साबित हो रही है | इसके बाद भी उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से कुछ हैरान करने वाली तस्वीरे आ रही है | प्रयागराज के मेजा तहसील अंतर्गत गंगा घाट पर बड़ी तादाद में शवो को दफनाया जा रहा है | आमतौर पर हिन्दू समाज में शवो को जलाने की परंपरा है इसके बाद भी लोग गंगा किनारे बालू में गड्डा खोदकर शव को दफ़नाने में लगे है | इसने जानकारी लने पर इन्होने कारन तो नहीं बताया सिर्फ इतना ही कहा कि अपने अपने विचार है, मरने के बाद शारीर मिटटी बन जाता है और मिटटी से मिटटी का मिलन हो जाता है , वही शवो को आग लेने वालो ने बताया कि कई परिवार अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी कि व्यवस्था नहीं कर पाते है वही कुछ लोग बीमारी से मरने के कारन जलने से अधिक दफनाने को ज्यादा तवज्जो दे रहे है |
पर्यावरण के जानकारों की मने तो शव का अंतिम संस्कार करना ज्यादा उचित है शव को गंगा तट पर दफनाना कही भी उचित नहीं है |
हमारे संवाददाता ankit तिवारी ने मौके पर जाकर पूरी जानकारी जुटायी तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये है